सुरक्षा बलों पर मानसिक दबाव का असर: श्रीनगर में CRPF जवान ने खुद को मारी गोली


के कुमार आहूजा  2024-11-12 10:04:11



 

जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में सोमवार को एक दर्दनाक घटना सामने आई, जब सीआरपीएफ (CRPF) के एक जवान ने शिवपोरा में अपने कैंप में खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। यह घटना सुरक्षा बलों में मानसिक तनाव और कठिन हालात का संकेत है।

घटना का विवरण

श्रीनगर के शिवपोरा इलाके में स्थित सीआरपीएफ की 61वीं बटालियन के कैंप में कॉन्स्टेबल निर्मल पाल सिंह ने सोमवार सुबह अपनी सर्विस राइफल से खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। अधिकारियों के अनुसार, गोली लगने के तुरंत बाद उनकी मौके पर ही मौत हो गई। आत्महत्या के पीछे के कारणों का पता लगाने के लिए जांच की जा रही है, और फिलहाल शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है।

तनाव का कारण

विशेषज्ञों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में तैनात सुरक्षा बलों के जवानों को मानसिक और भावनात्मक दबाव का सामना करना पड़ता है। लंबे समय तक परिवार से दूर रहना, हिंसक परिस्थितियों में ड्यूटी करना और मनोरंजन की कमी जैसे कारण इन जवानों के तनाव को और बढ़ाते हैं। यह क्षेत्र 1990 के दशक से उग्रवाद की चपेट में है, और तब से इस तरह की घटनाओं में वृद्धि देखी जा रही है।

तनाव दूर करने के लिए उठाए गए कदम

सुरक्षा बलों में तनाव को कम करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं, जिनमें समय-समय पर छुट्टी देना, काउंसलिंग सत्र आयोजित करना, मनोरंजन और खेल की सुविधाएं प्रदान करना शामिल हैं। अधिकारियों ने जवानों के बीच एक आपसी समझ और भरोसे का माहौल बनाने पर भी जोर दिया है। सुरक्षा बलों को उम्मीद है कि इन कदमों से जवानों के मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होगा और इस तरह की घटनाओं को रोका जा सकेगा।

विशेषज्ञों की राय

मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि आतंकवाद से लड़ने का काम सीमा पर दुश्मनों से मुकाबला करने से काफी अलग होता है। आतंकवादियों से निपटते समय हर नागरिक को निर्दोष मानना होता है, जब तक कि उसके व्यवहार से उसके इरादे का पता न चले। ऐसी परिस्थितियों में जवानों को हमेशा सतर्क रहना पड़ता है कि कहीं निर्दोष नागरिकों को नुकसान न पहुँचे। यह सतर्कता और सावधानी अक्सर जवानों के लिए मानसिक तनाव का कारण बन जाती है।

श्रीनगर में हुई यह घटना सुरक्षा बलों में बढ़ते तनाव का एक चिंताजनक उदाहरण है। सुरक्षा विशेषज्ञों और प्रशासन को इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए जवानों के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता है। उचित मानसिक स्वास्थ्य देखभाल और काउंसलिंग सत्र, तैनाती अवधि में बदलाव और मनोरंजन के उपायों से इस तरह के तनाव को कम करने में मदद मिल सकती है।


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