गोट्टिकोया आदिवासियों के हालात पर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की चिंता, गृह मंत्रालय समेत चार राज्यों को नोटिस जारी


के कुमार आहूजा  2024-11-11 13:33:58



 

माओवादी हिंसा के कारण छत्तीसगढ़ से विस्थापित होकर पड़ोसी राज्यों में कठिन हालात में जीवन बिता रहे गोट्टिकोया आदिवासियों के मुद्दे ने एक बार फिर से राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया है। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने केंद्र और चार राज्य सरकारों से आदिवासियों की स्थिति पर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा है, जिससे उनकी सुरक्षा और सामाजिक लाभ सुनिश्चित हो सके।

आयोग का नोटिस और बैठक की योजना

आयोग ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के सचिव और प्रभावित राज्यों – महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, और तेलंगाना – के मुख्य सचिवों से कहा है कि वे 9 दिसंबर को इस विषय पर चर्चा के लिए बैठक में उपस्थित हों। इस बैठक का उद्देश्य है, उन नीतियों पर विचार करना जिनसे गोट्टिकोया आदिवासियों के लिए जरूरी सामाजिक सुरक्षा और सहायता उपाय सुनिश्चित किए जा सकें।

माओवादी हिंसा से शुरू हुआ था विस्थापन

गोट्टिकोया आदिवासी समुदाय, जिसे माओवादी हिंसा के चलते 2005 में छत्तीसगढ़ छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा था, वर्तमान में पड़ोसी राज्यों के 248 गांवों में जीवन बिता रहे हैं। आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, और ओडिशा के जंगलों में आश्रय लेने के बावजूद उन्हें सामाजिक सुरक्षा और बुनियादी सुविधाओं की कमी का सामना करना पड़ता है। रिपोर्टों के अनुसार, तेलंगाना में आदिवासियों से लगभग 75 स्थानों पर भूमि वापस ले ली गई है, जिससे उनकी समस्याएं और बढ़ गई हैं।

सामाजिक सुरक्षा से वंचित आदिवासी समुदाय

गोट्टिकोया आदिवासी नई जगहों पर समाज की मुख्य धारा से कट गए हैं, जिससे वे केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा चलाई जाने वाली कई कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। सामाजिक सुरक्षा के अभाव में उनकी आर्थिक और सामाजिक स्थिति कमजोर होती जा रही है। उनकी इस दुर्दशा को देखते हुए आदिवासी अधिकार कार्यकर्ताओं ने सरकारी हस्तक्षेप की आवश्यकता को रेखांकित किया है ताकि उनकी बुनियादी आवश्यकताएं पूरी की जा सकें।

पूर्व में मिली याचिका के आधार पर कार्रवाई

आयोग को मार्च 2022 में एक याचिका मिली थी जिसमें गोट्टिकोया समुदाय के लोगों के विस्थापन और नए स्थानों पर चुनौतियों का विवरण दिया गया था। इस याचिका में स्पष्ट रूप से बताया गया कि माओवादी हिंसा के डर से छत्तीसगढ़ छोड़ने के बाद, आदिवासी समुदाय को अपनी पहचान और अधिकारों को सुरक्षित रखने में कई प्रकार की समस्याएं हो रही हैं।

आगे का मार्ग

इस मुद्दे पर विचार करते हुए आयोग ने स्पष्ट किया है कि प्रभावित राज्यों के साथ समन्वय स्थापित करना अत्यंत आवश्यक है। आयोग की इस पहल से उम्मीद है कि इन आदिवासियों को उनके अधिकारों और सामाजिक सुरक्षा का लाभ मिल सकेगा। इसके साथ ही, विभिन्न राज्यों के अधिकारियों से यह भी उम्मीद है कि वे गोट्टिकोया आदिवासियों के पुनर्वास और सुरक्षा के लिए समुचित कदम उठाएंगे।


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