मेवाड़ के स्वतंत्रता सेनानी मदन मोहन सोमटिया का निधन, 102 वर्ष की उम्र में देश को अंतिम विदाई


के कुमार आहूजा  2024-11-11 10:05:20



मेवाड़ के स्वतंत्रता सेनानी मदन मोहन सोमटिया का निधन, 102 वर्ष की उम्र में देश को अंतिम विदाई

राजस्थान के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और मेवाड़ प्रजा मंडल के योद्धा, मदन मोहन सोमटिया का रविवार को 102 वर्ष की आयु में निधन हो गया। अपने संघर्षपूर्ण जीवन के कारण उन्हें मेवाड़ के जन-आंदोलन में एक प्रेरणादायक योद्धा माना जाता है। वे लम्बे समय से अस्वस्थ थे और उनका इलाज राजसमंद के श्री गोवर्धन जिला अस्पताल में चल रहा था।

मदन मोहन सोमटिया का जीवन और स्वतंत्रता संग्राम में योगदान:

मदन मोहन सोमटिया का जन्म 14 सितंबर 1922 को हुआ था। बचपन से ही स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ने की प्रेरणा उन्हें अपने परिवार से मिली थी, जिसमें उनके दो बड़े भाई, नरेंद्रपाल चौधरी और राजेंद्र सिंह चौधरी भी स्वतंत्रता संग्राम में शामिल थे। मेवाड़ प्रजा मंडल से जुड़े रहते हुए उन्होंने कई बार जेल की सजा भी भुगती, लेकिन स्वतंत्रता की चाहत में कभी पीछे नहीं हटे।

मेवाड़ प्रजा मंडल का गठन और सोमटिया की भागीदारी:

मेवाड़ प्रजा मंडल की स्थापना 1938 में हुई थी, जो मेवाड़ क्षेत्र के लोगों को ब्रिटिश शासन और रियासतों के अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाने का एक मंच प्रदान करता था। सोमटिया इस आंदोलन में 15 साल की उम्र से ही शामिल हो गए थे। उन्होंने अपने छात्र जीवन में जन-सभाओं में भाग लिया, स्वदेशी वस्त्रों का प्रचार किया, और पत्र वितरण जैसे कार्यों में भागीदारी निभाई। इस दौरान उन्हें ब्रिटिश पुलिस द्वारा कई बार गिरफ्तार किया गया, परंतु उनकी उम्र छोटी होने के कारण उन्हें छोड़ भी दिया गया था​।

1942 का भारत छोड़ो आंदोलन और गिरफ्तारी:

भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान, सोमटिया को पहली बार जेल भेजा गया। उन्होंने छह महीने तक जेल में बिताया और उस समय कई कठिनाइयों का सामना किया। इसके बाद उन्हें दूसरी बार भी छह महीने की सजा सुनाई गई, जिससे उनका संघर्ष और दृढ़ता के साथ जुड़ाव और बढ़ गया​।

समाज सेवा और सम्मानों का सिलसिला:

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी सोमटिया समाज सेवा के कार्यों में संलग्न रहे। उनके योगदान के लिए उन्हें 2 अक्टूबर 1987 को पहली बार सम्मानित किया गया। इसके बाद, उनके जीवन में कई और सम्मान आए। 2009 में उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत ने उनके घर पर जाकर उन्हें सम्मानित किया, और 2013 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी उन्हें आदरांजलि दी। पिछले वर्ष राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी उनके घर पर उन्हें सम्मानित किया था।

समाज में प्रेरणा का स्रोत:

स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े होने के बावजूद, सोमटिया का जीवन आज के युवा और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा बना रहेगा।


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