न्यायमूर्ति संजीव खन्ना- भारत के 51वें प्रधान न्यायाधीश, कई ऐतिहासिक फैसलों के गवाह


के कुमार आहूजा  2024-11-11 07:21:35



न्यायमूर्ति संजीव खन्ना- भारत के 51वें प्रधान न्यायाधीश, कई ऐतिहासिक फैसलों के गवाह

भारत के न्यायिक इतिहास में सोमवार को एक और मील का पत्थर जुड़ जाएगा, जब न्यायमूर्ति संजीव खन्ना देश के 51वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण करेंगे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक गरिमामय समारोह में उन्हें शपथ दिलाएंगी। न्यायमूर्ति खन्ना, जिनका कार्यकाल 13 मई 2025 तक रहेगा, न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ के बाद यह महत्वपूर्ण भूमिका संभालेंगे, जिनका कार्यकाल समाप्त हो गया है।

कानून की सेवा में परिवार की परंपरा को आगे बढ़ाते न्यायमूर्ति खन्ना:

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का संबंध एक प्रतिष्ठित कानूनी परिवार से है। वह दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश देव राज खन्ना के पुत्र और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एच.आर. खन्ना के भतीजे हैं। उनके चाचा एच.आर. खन्ना ने 1976 में आपातकाल के दौरान असहमतिपूर्ण फैसला देते हुए मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए अपने न्यायिक सिद्धांतों को सर्वोपरि माना था। इस पारिवारिक पृष्ठभूमि का प्रभाव न्यायमूर्ति संजीव खन्ना के न्यायिक दृष्टिकोण में भी दिखता है, जिनका उच्चतम न्यायालय के कार्य में दृढ़ता और निष्पक्षता के प्रति समर्पण स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।

महत्वपूर्ण फैसलों में न्यायमूर्ति खन्ना की भूमिका:

जनवरी 2019 से सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में सेवाएं देते हुए, न्यायमूर्ति खन्ना ने अनेक महत्वपूर्ण निर्णयों में अपनी निर्णायक भूमिका निभाई है। वह इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की विश्वसनीयता, चुनावी बॉण्ड योजना, अनुच्छेद 370 का निरस्तीकरण और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत जैसे मामलों से जुड़े फैसलों में शामिल रहे हैं। उनका दृष्टिकोण स्वतंत्र और पारदर्शी न्यायिक व्यवस्था में उनके गहरे विश्वास को दर्शाता है, जिसमें उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि न्याय का सही अर्थ में पालन हो।

ईवीएम की विश्वसनीयता और चुनावी बॉण्ड पर निर्णय:

न्यायमूर्ति खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने ईवीएम की विश्वसनीयता की पुष्टि करते हुए मतपत्र प्रणाली पर लौटने की मांग को निरस्त किया। इसके अलावा, उन्होंने राजनीतिक वित्तपोषण को लेकर चर्चित चुनावी बॉण्ड योजना पर भी ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए इसे संविधान के विरुद्ध माना। इन निर्णयों ने भारतीय लोकतंत्र में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

अनुच्छेद 370 और जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा:

जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करने वाले अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण के मामले में भी न्यायमूर्ति खन्ना का महत्वपूर्ण योगदान रहा। उन्होंने इस निर्णय के पक्ष में राय व्यक्त की, जो भारत के संघीय ढांचे के साथ राज्य की एकात्मकता को बनाए रखने के लिए आवश्यक कदमों में से एक माना गया।

कानूनी सेवा में समर्पित:

न्यायमूर्ति खन्ना के जीवन की एक प्रमुख विशेषता कानून व्यवस्था के प्रति उनका समर्पण रहा है। दिल्ली विश्वविद्यालय के कैंपस लॉ सेंटर से कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद 1983 में उन्होंने वकालत शुरू की और दिल्ली बार काउंसिल में बतौर वकील पंजीकृत हुए। करियर के दौरान उन्होंने आयकर विभाग के वरिष्ठ स्थायी वकील, दिल्ली उच्च न्यायालय में सरकारी अभियोजक और विभिन्न आपराधिक मामलों में न्याय मित्र के रूप में भी अपनी सेवाएं दीं।

इस प्रकार, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की नियुक्ति न केवल उनके कानूनी ज्ञान और तटस्थता के कारण एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह न्यायपालिका में विश्वास और निष्पक्षता की उनकी प्रतिबद्धता का प्रतीक भी है। उनकी भूमिका में भारत को एक न्यायप्रिय और मजबूत न्यायिक नेतृत्व मिलने की आशा है।


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