नेताजी की अस्थियाँ भारत लाने की मांग: चंद्र कुमार बोस ने प्रधानमंत्री मोदी से की भावुक अपील
के कुमार आहूजा 2024-11-10 05:35:03
नेताजी की अस्थियाँ भारत लाने की मांग: चंद्र कुमार बोस ने प्रधानमंत्री मोदी से की भावुक अपील
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पौत्र चंद्र कुमार बोस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से एक बार फिर अपील की है कि नेताजी की अस्थियों को जापान के रेनकोजी मंदिर से भारत लाया जाए। उन्होंने आग्रह किया कि नेताजी की 127वीं जयंती से पहले, 23 जनवरी तक यह प्रक्रिया पूरी होनी चाहिए ताकि देश की इस महान विभूति का सम्मान उनके अपने देश में किया जा सके।
नेताजी का सम्मान भारत में होना चाहिए
चंद्र कुमार बोस ने अपने बयान में कहा कि यह नेताजी के प्रति अनादर है कि उनकी अस्थियाँ अभी भी जापान की धरती पर हैं। उनका कहना है कि देश के स्वतंत्रता संग्राम के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले इस महापुरुष के अवशेषों का सम्मान भारतीय मिट्टी पर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जापान में रेनकोजी मंदिर के पुजारी भी सहमत हैं कि नेताजी के अवशेष भारत लाए जाने चाहिए। इसके लिए बोस ने प्रधानमंत्री मोदी को कई पत्र भी भेजे हैं, जिनमें अंतिम पत्र अगस्त में भेजा गया था।
अस्थियाँ लाकर बनाया जाए स्मारक
चंद्र कुमार बोस ने दिल्ली के कर्तव्य पथ पर नेताजी के लिए एक स्मारक बनाने की भी मांग की है, ताकि देशवासी नेताजी के योगदान को सम्मानित कर सकें। साथ ही उन्होंने कहा कि जापान में रखी अस्थियों के बारे में लंबे समय से भारत में कई भ्रांतियाँ हैं, जिन पर सरकार को एक स्पष्ट वक्तव्य जारी करना चाहिए।
नेताजी की मृत्यु और विवाद
नेताजी की मृत्यु से जुड़े कई विवाद हैं। सरकार द्वारा प्रकाशित 10 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय जांच रिपोर्टों में से अधिकांश इस तथ्य को प्रमाणित करती हैं कि नेताजी की मृत्यु 18 अगस्त 1945 को एक हवाई दुर्घटना में ताइवान में हुई थी। हालांकि, 2005 में जस्टिस मुखर्जी आयोग की रिपोर्ट में इस दुर्घटना में नेताजी के निधन को खारिज किया गया, जिसे बाद में भारत सरकार ने अस्वीकार कर दिया। चंद्र कुमार बोस का कहना है कि नेताजी की मृत्यु को लेकर चल रहे गलत आख्यानों का खंडन करने के लिए एक निर्णायक बयान आना आवश्यक है।
भारत में अंतिम संस्कार के लिए उनकी बेटी की इच्छा
नेताजी की बेटी, अनिता बोस पफ ने भी अस्थियों को भारत लाकर हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार अंतिम संस्कार की इच्छा जताई है। उनके अनुसार, यह नेताजी की स्मृति और उनकी अंतिम इच्छा का सम्मान होगा, क्योंकि नेताजी ने हमेशा भारत लौटने की कामना की थी लेकिन स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करते हुए अपना जीवन बलिदान कर दिया।
नेताजी की अस्थियों को भारत लाने और उनके सम्मान में स्मारक बनाने की इस अपील पर प्रधानमंत्री मोदी और भारत सरकार का रुख अभी देखना बाकी है।