जवानी का नशा,क्या आप बूढ़े नहीं होंगे,होंगे जी होंगे बढ़ती उम्र में इन्हें छोड़ दीजिए क्यों छोड़ दें बेटों के पोतों के लिए यह सबक है हमारे सिस्टम के लिए अरे क्यों छोड़ दे
के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा 2024-11-08 20:20:59
जवानी का नशा,क्या आप बूढ़े नहीं होंगे,होंगे जी होंगे बढ़ती उम्र में इन्हें छोड़ दीजिए क्यों छोड़ दें बेटों के पोतों के लिए यह सबक है हमारे सिस्टम के लिए अरे क्यों छोड़ दे
एक दो बार समझाने से यदि कोई नहीं समझ रहा है तो सामने वाले को समझाना,
*छोड़ दीजिए*
बच्चे बड़े होने पर वो ख़ुद के निर्णय लेने लगे तो उनके पीछे लगना,
*छोड़ दीजिए।*
गिने चुने लोगों से अपने विचार मिलते हैं, यदि एक दो से नहीं मिलते तो उन्हें,
*छोड़ दीजिए।*
एक उम्र के बाद कोई आपको न पूछे या कोई पीठ पीछे आपके बारे में गलत कह रहा है तो दिल पर लेना,
*छोड़ दीजिए।*
अपने हाथ कुछ नहीं, ये अनुभव आने पर भविष्य की चिंता करना,
*छोड़ दीजिए।*
यदि इच्छा और क्षमता में बहुत फर्क पड़ रहा है तो खुद से अपेक्षा करना,
*छोड़ दीजिए।*
हर किसी का पद, कद, मद, सब अलग है इसलिए तुलना करना,
*छोड़ दीजिए।*
बढ़ती उम्र में जीवन का आनंद लीजिए, रोज जमा खर्च की चिंता करना,
*छोड़ दीजिए।*
उम्मीदें होंगी तो सदमे भी बहुत होंगे, यदि सुकून से रहना है तो उम्मीदें करना,
*छोड दीजिए।*
मैसेज अच्छा लगे तो ठीक, न लगे तो फारवर्ड करने का विचार,
*छोड़ दीजिये।* सच-सच शायद अच्छा लगे
लेखक विचारक ,चिंतक ,परिचय के मोहताज नहीं पीड़ा है समाज की उजागर कर रहे हैं पूर्व पी आर ओ मनोहर चावला के साथ के कुमार आहूजा बीकानेर एक्सप्रेस ,और बीकानेर फ्रंटियर एक साथ