भारत की सौर ऊर्जा में ऐतिहासिक छलांग: 90 GW क्षमता हासिल, 2030 तक 500 GW का लक्ष्य"


के कुमार आहूजा  2024-11-07 20:47:29



 

भारत ने सौर ऊर्जा क्षेत्र में एक और मील का पत्थर हासिल किया है। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सोमवार को घोषणा की कि देश की स्थापित सौर ऊर्जा क्षमता 90 गीगावाट तक पहुँच चुकी है। यह उपलब्धि भारत को 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ा रही है। नई दिल्ली में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) की 7वीं महासभा के दौरान उन्होंने भारत की महत्वाकांक्षी योजनाओं और वैश्विक जलवायु परिवर्तन से निपटने के संकल्प पर प्रकाश डाला।

90 गीगावाट सौर क्षमता का मुकाम

केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने ISA की महासभा को संबोधित करते हुए कहा कि भारत सौर ऊर्जा में नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। 90 गीगावाट क्षमता स्थापित करने के बाद अब भारत का ध्यान 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा का लक्ष्य हासिल करने पर है। इस दिशा में, भारत 125 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता की मदद से 5 मिलियन मीट्रिक टन ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करने की योजना भी बना रहा है, जो कि देश की ऊर्जा आत्मनिर्भरता के लिए महत्वपूर्ण कदम है।

सौर ऊर्जा पार्कों और अपतटीय पवन ऊर्जा का विकास

श्री जोशी ने बताया कि भारत ने लगभग 37.5 गीगावाट क्षमता वाले 50 सौर ऊर्जा पार्कों को मंजूरी दी है और 2030 तक 30 गीगावाट अपतटीय पवन ऊर्जा क्षमता को हासिल करने के लिए संभावित स्थलों की पहचान कर ली है। सौर ऊर्जा के क्षेत्र में प्रधानमंत्री मोदी की योजना ‘पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना’ और बजट 2024-25 में सौर परियोजनाओं के लिए 110% की बढ़ोतरी, सरकार की मजबूत इच्छाशक्ति को दर्शाता है। इन नीतियों के तहत लोगों को अपने घरों की छतों पर सोलर पैनल लगाने की सुविधा दी जा रही है, जिससे वे अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को खुद पूरा कर सकते हैं।

PM-KUSUM योजना से ग्रामीण क्षेत्रों में बदलाव

PM-KUSUM योजना के अंतर्गत किसानों को सौर ऊर्जा से अपने खेतों की सिंचाई करने और अतिरिक्त ऊर्जा को बेचने की सुविधा दी जा रही है, जिससे उनके जीवनस्तर में सुधार और कृषि में स्थिरता आ रही है। इससे न केवल किसानों की आय बढ़ रही है बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा मिल रहा है।

उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाएँ और सौर निवेश

मंत्री ने बताया कि भारत की प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना ने देश की सौर उत्पादन क्षमता को मजबूती दी है। इसके जरिए भारत अपनी उत्पादन आपूर्ति श्रृंखला को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम कर रहा है। वैश्विक स्तर पर, सौर निवेश 2018 के $144 बिलियन से बढ़कर 2023 में $393 बिलियन हो गया है, और 2024 के अंत तक $500 बिलियन तक पहुँचने का अनुमान है। इन निवेशों ने सौर ऊर्जा को अधिक किफायती बनाया है और यह कई क्षेत्रों में कोयले और गैस से भी सस्ती हो गई है।

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन का नेतृत्व

भारत 2024 से 2026 तक 120 देशों के ISA का अध्यक्ष रहेगा, जबकि फ्रांस को सह-अध्यक्ष चुना गया है। ISA का लक्ष्य ‘Towards 1000’ रणनीति के तहत 2030 तक 1000 गीगावाट सौर क्षमता स्थापित करना, 1000 बिलियन डॉलर का निवेश जुटाना, और हर साल 1000 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को कम करना है। ISA अब उभरते देशों और छोटे द्वीपीय देशों में सौर परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए संसाधन जुटाने और सहायता प्रदान करने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।

भारत की सौर ऊर्जा के क्षेत्र में यह प्रगति न केवल वैश्विक स्तर पर ऊर्जा सुरक्षा में योगदान देगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के लक्ष्य को भी हासिल करने में मददगार साबित होगी। ISA जैसे वैश्विक मंचों का नेतृत्व करते हुए भारत ने जलवायु परिवर्तन से निपटने और एक स्थायी भविष्य की दिशा में एक मजबूत कदम बढ़ाया है।


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