मच्छरों पर काबू पाने का नया उपाय! ब्रिटिश वैज्ञानिकों की खोज- डेंगू,जीका के खिलाफ नया हथियार
के कुमार आहूजा 2024-11-07 06:43:56
डेंगू, जीका और पीले बुखार जैसी जानलेवा बीमारियाँ फैलाने वाले मच्छरों को नियंत्रित करने में विज्ञान ने एक अहम खोज की है। ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने एक विशेष बैक्टीरिया की पहचान की है, जो इन मच्छरों की संख्या को कम करने में सहायक हो सकता है। क्या यह बैक्टीरिया मच्छरों से निपटने के पुराने तरीकों का स्थान ले सकता है? आइए, जानते हैं इस अद्वितीय शोध के बारे में!
मुख्य घटना और खोज का परिचय:
यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सेटर और वैगनिंगेन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने मच्छरों की वृद्धि प्रक्रिया पर किए गए एक अध्ययन में पाया कि Asaia नामक एक बैक्टीरिया मच्छरों के लार्वा को तेजी से विकसित कर सकता है। अध्ययन के अनुसार, मच्छरों के लार्वा इस बैक्टीरिया के संपर्क में आने पर एक दिन तेजी से विकसित होते हैं। जर्नल ऑफ एप्लाइड माइक्रोबायोलॉजी में प्रकाशित इस शोध का उद्देश्य मच्छरों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए इस खोज का उपयोग करना है, ताकि बीमारी फैलाने वाले मच्छरों की संख्या को नियंत्रित किया जा सके।
मच्छरों से निपटने का पुराना तरीका और नई संभावनाएँ:
पारंपरिक रूप से, मच्छरों से बीमारियाँ रोकने के लिए गैर-काटने वाले नर मच्छरों को पर्यावरण में छोड़कर संक्रमित मच्छरों की जनसंख्या कम करने की कोशिश की जाती थी। इससे पहले भी विभिन्न कार्यक्रमों के अंतर्गत बाँझ मच्छरों को छोड़ने का प्रयास किया गया, ताकि संक्रमित मच्छरों की संख्या घटाई जा सके। परंतु यह तरीका बहुत प्रभावी नहीं साबित हो सका क्योंकि मच्छरों ने कीटनाशकों के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर ली है।
Asaia बैक्टीरिया का महत्व और इसके लाभ:
प्रोफेसर बेन रेमंड, जो यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सेटर के सेंटर फॉर इकोलॉजी एंड कंजर्वेशन के प्रोफेसर हैं, का कहना है कि “Aedes aegypti मच्छरों के लार्वा के विकास के लिए माइक्रोबायोम का होना आवश्यक है। हमारा शोध दर्शाता है कि Asaia बैक्टीरिया इन मच्छरों के विकास में सकारात्मक भूमिका निभा सकता है।” शोध में यह भी पाया गया कि बैक्टीरिया से मच्छरों के लार्वा के विकास का समय कम हो जाता है, जिससे बड़े पैमाने पर मच्छरों का उत्पादन संभव हो सकेगा।
कैसे काम करता है यह बैक्टीरिया:
शोधकर्ताओं ने Asaia बैक्टीरिया को मच्छरों के लार्वा के पानी में मिलाया। इसके परिणामस्वरूप दो विशेष प्रकार के बैक्टीरिया पाए गए जो लार्वा के विकास को बढ़ावा देते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, ये बैक्टीरिया सीधे पोषण तो नहीं देते लेकिन लार्वा के आस-पास के बैक्टीरियल वातावरण को बदलते हैं, जिससे कुछ परजीवी बैक्टीरिया की संख्या कम होती है। इसके अतिरिक्त, Asaia बैक्टीरिया ऑक्सीजन की मात्रा भी घटाते हैं, जिससे विकास हार्मोन का उत्पादन होता है।
हालाँकि इस शोध में उत्साहजनक परिणाम सामने आए हैं, लेकिन यह अभी भी प्रारंभिक चरण में है। वैश्विक स्वास्थ्य कार्यक्रमों में इस बैक्टीरिया के उपयोग से पहले इसके संभावित प्रभावों और सीमाओं की पूरी जाँच आवश्यक है। इस अध्ययन को व्यावहारिक रूप से लागू करने से पहले इसके दीर्घकालिक प्रभावों का मूल्यांकन किया जाना चाहिए।
यह खोज डेंगू, जीका और अन्य मच्छरजनित बीमारियों से प्रभावित क्षेत्रों के लिए वरदान साबित हो सकती है। अगर यह तकनीक सफल होती है, तो इसे बड़े पैमाने पर मच्छर नियंत्रण कार्यक्रमों में शामिल किया जा सकता है। इससे मच्छरों की जनसंख्या को नियंत्रित करने में न केवल सफलता मिल सकती है बल्कि इंसानी जीवन पर इन बीमारियों के दुष्प्रभाव को भी कम किया जा सकता है।