कर्नाटक में फिर से भड़क सकता है नरगुंड बंडा: पूर्व मुख्यमंत्री बोम्मई ने वक्फ अधिग्रहण पर कांग्रेस को चेताया
के कुमार आहूजा 2024-11-07 06:21:08
कर्नाटक में वक्फ बोर्ड के भूमि अधिग्रहण को लेकर चल रही विवादास्पद स्थिति पर पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी सांसद बसवराज बोम्मई ने कांग्रेस सरकार को तीखी चेतावनी दी है। सोमवार को शिकगांव में बीजेपी मंडल द्वारा आयोजित एक विशाल विरोध रैली को संबोधित करते हुए बोम्मई ने कहा कि यदि किसानों की जमीनों पर इस तरह से अधिग्रहण जारी रहा, तो राज्य में 'नरगुंड जैसी बगावत' फिर से देखने को मिल सकती है।
भूमि अधिग्रहण विवाद का कारण
बोम्मई ने शिकगांव तालुक के सर्वे नंबर 417 का जिक्र करते हुए बताया कि इस जमीन को गरीबों के लिए आवास निर्माण हेतु स्लम बोर्ड द्वारा आवंटित किया गया था। अब इस भूमि को वक्फ बोर्ड ने अपनी संपत्ति घोषित कर दिया है, जिससे क्षेत्र के गरीब परिवार बेघर होने की कगार पर हैं। उन्होंने बताया कि इसी तरह, शिकगांव में 220 केवी पावर स्टेशन स्थापित करने का प्रयास किया गया था, लेकिन इसे भी वक्फ संपत्ति घोषित करके रोकने की कोशिश की गई थी। अंततः बीजेपी सरकार ने इसे अदालत में चुनौती देकर यह पावर स्टेशन स्थापित करवाया था।
ऐतिहासिक संदर्भ और किसानों की उग्रता
पूर्व मुख्यमंत्री ने ऐतिहासिक नरगुंड विद्रोह का उल्लेख करते हुए कहा कि कांग्रेस द्वारा किसानों की भूमि पर इसी तरह का नियंत्रण स्थापित करने के प्रयासों के खिलाफ इस क्षेत्र में विद्रोह हुआ था। उन्होंने कहा कि राज्य के कई हिस्सों में नाराज किसान इसे भूमि जिहाद मानते हैं और यदि कांग्रेस ने अपने कदम वापस नहीं खींचे तो राज्य में फिर से बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन हो सकते हैं।
कांग्रेस सरकार पर आरोप और बीजेपी का रुख
बोम्मई ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से अपील की कि वे तुरंत वक्फ बोर्ड के इस निर्णय को वापस लें और किसानों को राहत दें। उन्होंने कहा कि वक्फ एक्ट को रद्द करने की आवश्यकता है और इसके लिए वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी संपर्क करेंगे। इसके अलावा, बोम्मई ने आश्वासन दिया कि वे कोर्ट में किसानों की जमीन की रक्षा के लिए लड़ाई जारी रखेंगे और किसानों को अपनी भूमि को बचाने के लिए किसी भी हद तक जाने की बात कही।
पूर्व विद्रोह का प्रभाव
1980 के दशक में कर्नाटक के नरगुंड और नवलगुंड में किसानों ने कांग्रेस सरकार के खिलाफ भारी विद्रोह किया था, जिसे नरगुंड बंडाके नाम से जाना जाता है। उस समय कांग्रेस सरकार द्वारा मलप्रभा कमांड क्षेत्र में प्रति एकड़ 1,500 रुपये के ‘बेहतरता शुल्क’ के संग्रह का विरोध करते हुए किसानों ने बड़ा आंदोलन किया था, जिसके परिणामस्वरूप कांग्रेस का राज्य में शासन समाप्त हो गया और पहली बार एक गैर-कांग्रेसी सरकार का गठन हुआ था
इस विरोध रैली में पूर्व मंत्री सी.टी. रवि, राजू गौड़ा, सी.सी. पाटिल, पूर्व सांसद प्रताप सिम्हा और पूर्व विधायक पी. राजीव, दत्तात्रेय पाटिल रेवर भी मौजूद थे। सभी नेताओं ने किसानों की भूमि और अधिकारों के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताई और कांग्रेस सरकार के इस कदम की निंदा की।
इस तरह से भूमि अधिग्रहण और वक्फ विवाद ने कर्नाटक में एक नए राजनीतिक संघर्ष की स्थिति पैदा कर दी है, जो आने वाले समय में राज्य की राजनीति को प्रभावित कर सकता है।