पहला एशियन बौद्ध शिखर सम्मेलन: भारत ने बौद्ध धरोहर के संरक्षण का संकल्प दोहराया 


के कुमार आहूजा  2024-11-06 20:44:55



 

भारत में पहली बार आयोजित एशियन बौद्ध शिखर सम्मेलन ने बौद्ध धर्म की अमूल्य धरोहर को संरक्षित करने और एशियाई देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने का अवसर दिया। इस ऐतिहासिक आयोजन में भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने महात्मा बुद्ध के आदर्शों को आधुनिक समस्याओं का समाधान बताया।

दिल्ली में आयोजित एशियन बौद्ध शिखर सम्मेलन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने महात्मा बुद्ध के योगदान का स्मरण करते हुए कहा कि भारत धर्म की पवित्र भूमि है, जहाँ हर युग में महान संत और गुरु जन्मे हैं। उन्होंने बुद्ध को उन महापुरुषों में विशिष्ट स्थान दिया जिन्होंने समस्त मानवता को ‘बहुजन सुखाय बहुजन हिताय’ के सिद्धांत के साथ जीवन जीने का मार्ग दिखाया। उन्होंने कहा कि बुद्ध ने बोधगया में जो ज्ञान प्राप्त किया, वह अपने आप में अद्वितीय है, और इसे उन्होंने दूसरों के कल्याण के लिए साझा किया।

केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि बुद्ध धर्म सिर्फ एक धार्मिक सिद्धांत नहीं बल्कि एक जीवन जीने की कला है। यह हमें आंतरिक शांति, सहानुभूति और समाज के प्रति दया और सम्मान के साथ जीने का संदेश देता है। उन्होंने यह भी कहा कि बौद्ध धर्म का संदेश न केवल बौद्ध अनुयायियों बल्कि संपूर्ण मानवता के लिए प्रेरणादायक है।

श्री शेखावत ने भारत को बौद्ध धर्म की जन्मभूमि बताते हुए इसके संरक्षण का संकल्प दोहराया। उन्होंने 'धम्म सेतु' के निर्माण पर बल दिया जो एशियाई देशों को जोड़ता है, और इसे बौद्ध सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और संवर्धन के लिए महत्वपूर्ण बताया। इस शिखर सम्मेलन का उद्देश्य एशियाई देशों में बौद्ध कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करना, आधुनिक सामाजिक मुद्दों का बौद्ध दृष्टिकोण से समाधान खोजना, बौद्ध पर्यटन को बढ़ावा देना और प्राचीन बौद्ध पांडुलिपियों और कला-संपदा का संरक्षण करना है।

गजेंद्र सिंह शेखावत ने आगे कहा कि वर्तमान वैश्विक चुनौतियों के समाधान के लिए बुद्ध के ‘मध्यम मार्ग’ और ‘चार आर्य सत्य’ के विचार अनमोल सिद्धांत हैं। शिखर सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य बौद्ध दृष्टिकोण से समकालीन चुनौतियों का सामना करना और एशियाई देशों के बीच सांस्कृतिक बंधन को मजबूत करना है। इस पहल के माध्यम से बौद्ध धर्म को आधुनिक युग में भी प्रासंगिक बनाए रखने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि भविष्य की पीढ़ियाँ भी बुद्ध के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।

सम्मेलन के दौरान केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने भी सभा को संबोधित किया और बुद्ध धर्म के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की। इस शिखर सम्मेलन ने एशिया के विभिन्न देशों से आए बौद्ध धर्म के विद्वानों और नेताओं को एक मंच पर लाने का अवसर प्रदान किया, जहाँ उन्होंने मानवता की भलाई के लिए विचार-विमर्श और संवाद किया।

यह सम्मेलन बौद्ध धर्म की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने के लिए भारत के प्रयासों का प्रतीक है। भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक धरोहर की इस विरासत को पुनर्स्थापित करने के साथ-साथ एशियाई देशों के बीच मजबूत सांस्कृतिक संबंध बनाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। बौद्ध धर्म के माध्यम से शांति, समृद्धि और दयालुता की स्थापना के इस प्रयास में भारत की भूमिका निर्विवाद रूप से ऐतिहासिक है।


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