छठ पूजा के पहले दिन पीएम मोदी ने दी देशवासियों को शुभकामनाएँ, व्रतियों के अनुष्ठान की सफलता की कामना
के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा 2024-11-06 20:40:07
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छठ पूजा के पहले दिन ‘नहाय-खाय’ के पवित्र अवसर पर देशवासियों को शुभकामनाएँ दीं। इस पर्व पर उनकी विशेष कामना ने पूरे देश में सकारात्मक संदेश फैलाया है, जो खासकर पूर्वी भारत के लोगों के लिए धार्मिक आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छठ पूजा के पहले दिन देशवासियों के लिए एक विशेष संदेश साझा किया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर अपने संदेश में सभी देशवासियों और विशेष रूप से व्रतियों के लिए शुभकामनाएँ दीं। प्रधानमंत्री ने अपने संदेश में कहा, “छठ महापर्व में आज नहाय-खाय के पवित्र अवसर पर सभी देशवासियों को मेरी शुभकामनाएँ। विशेष रूप से सभी व्रतियों को मेरा अभिनंदन। छठी मइया की कृपा से आप सबका अनुष्ठान सफलतापूर्वक संपन्न हो, यही कामना है।”
छठ पूजा का महापर्व पूर्वांचल और बिहार के साथ-साथ देश के कई हिस्सों में बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह पर्व मुख्यतः सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित है। नहाय-खाय के साथ शुरू होकर यह चार दिवसीय पर्व आस्था, परिवार की भलाई और समर्पण की भावना का प्रतीक है।
छठ पूजा का महत्त्व खासकर बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और दिल्ली जैसे क्षेत्रों में अत्यधिक देखा जाता है, जहाँ बड़ी संख्या में लोग इस पवित्र अवसर पर गंगा, यमुना और अन्य नदियों के किनारे जाकर सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। इस पर्व में विशेष रूप से महिलाएँ कठिन व्रत रखती हैं, जिसमें पानी और भोजन का त्याग कर वे अपने परिवार और समाज की भलाई के लिए प्रार्थना करती हैं।
प्रधानमंत्री मोदी का यह संदेश इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि उन्होंने अपने शुभकामना संदेश में न केवल देशवासियों के प्रति अपनी चिंता जताई है, बल्कि सभी व्रतियों के अनुष्ठान की सफलता के लिए भी कामना की है। उनके इस संदेश से छठ पूजा के प्रति उनकी आस्था और देशवासियों की धार्मिक आस्थाओं के प्रति सम्मान प्रकट होता है।
छठ पूजा के चार दिनों के विभिन्न अनुष्ठान इस प्रकार होते हैं:
नहाय-खाय: पर्व का पहला दिन, जब लोग शुद्धता का प्रतीक माने जाने वाले गंगा जल का उपयोग करते हुए स्नान करते हैं और भोजन में पूरी पवित्रता बरतते हैं।
खरना: दूसरे दिन का व्रत जिसमें व्रती दिनभर उपवास रखते हैं और शाम को खीर और रोटी खाकर व्रत समाप्त करते हैं।
संध्या अर्घ्य: तीसरे दिन, जब व्रती पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं।
प्रातः अर्घ्य: चौथे और अंतिम दिन, उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया जाता है।
प्रधानमंत्री के इस शुभकामना संदेश ने इस महापर्व को और भी विशेष बना दिया है। उनके द्वारा दिए गए इस संदेश का देशवासियों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है, जिससे उनका इस पर्व के प्रति आदर और श्रद्धा और अधिक बढ़ी है।