(एक तस्वीर संपादक )22 दिनों तक हर कदम पर नजर! जानिए कैसे ऑनलाइन ठगों ने चंडीगढ़ के शख्स से ठगे 51 लाख रुपये 


के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा  2024-11-06 05:23:36



 

चंडीगढ़ के रहने वाले हरिनाथ, एक तस्वीर संपादक, हाल ही में हुए एक भयानक साइबर अपराध का शिकार हुए। ठगों ने उन्हें "डिजिटल अरेस्ट" में फंसाकर उनके घर में 22 दिनों तक नजरबंद रखा और 51 लाख रुपये की ठगी कर ली। यह खबर सोशल मीडिया पर सुर्खियां बटोर रही है, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस तरह के धोखाधड़ी के मामलों के प्रति लोगों को चेतावनी दी है। यह कहानी समाज को डिजिटल सुरक्षा के प्रति जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण सबक है।

घटना का पूरा विवरण:

हरिनाथ, जो मूल रूप से भोपाल के रहने वाले हैं, अपनी नौकरी खोने के बाद पिछले सात सालों से चंडीगढ़ में अपनी पत्नी के साथ रह रहे हैं। एक अज्ञात कॉल से शुरू हुई इस ठगी का सिलसिला 2 अक्टूबर की रात को तब शुरू हुआ जब एक महिला ने उन्हें फोन कर खुद को टेलीकॉम कंपनी का कर्मचारी बताया और कहा कि उनके आधार कार्ड पर एक धोखाधड़ी का मामला दर्ज है।

हरिनाथ का कहना है कि वह चंडीगढ़ में रहते हुए कभी मुंबई नहीं गए, लेकिन कॉल पर महिला ने दावा किया कि उनका आधार कार्ड मुंबई में इस्तेमाल हो रहा है। इसके बाद, ठगों ने उनके साथ एक "फर्जी पुलिस अधिकारी" से बात करवाई जिसने उन्हें डराया और कहा कि उनके खिलाफ गिरफ्तार करने का आदेश जारी हो चुका है। इसके बाद उन्हें एक "सीबीआई अधिकारी" के पास भेजा गया जिसने दावा किया कि वे "सुप्रीम कोर्ट और आरबीआई" के अधिकारी भी शामिल हैं। इस तरह हरिनाथ को एक तरह से डिजिटल माध्यम से कैद कर लिया गया और वह लगातार अपने फोन पर ठगों के साथ वीडियो कॉल में रहे।

22 दिनों की 'डिजिटल कैद'

ठगों ने हरिनाथ को यह विश्वास दिलाया कि वे उनकी हर गतिविधि पर नजर रख रहे हैं। हरिनाथ को हर बार बाथरूम तक जाने से पहले ठगों को सूचित करना पड़ता था। इस 22-दिन के दौरान ठगों ने उनसे कुल 51 लाख रुपये की उगाही की। ठगों ने उन्हें अलग-अलग तरीकों से बार-बार पैसे भेजने का निर्देश दिया, जिसमें बैंक से पैसे निकालने और सीधे ठगों के खातों में जमा करना शामिल था।

ठगी के सिलसिलेवार घटनाक्रम:

ठगों ने हरिनाथ से पहले 9 लाख रुपये भेजने को कहा, इसके बाद 20 लाख रुपये, फिर अलग-अलग रकम की कई बार मांग की। हरिनाथ ने ठगों के कहने पर अपनी एफडी भी तुड़वाई। इन 22 दिनों में ठगों ने उन्हें मानसिक तनाव में रखा और परिवार को कुछ भी बताने से मना किया। ठगों के निर्देश पर हरिनाथ ने किसी से भी संपर्क नहीं किया और परिवार वालों से भी इस घटना को छुपाए रखा।

51 लाख रुपये ठगने का तरीका:

हरिनाथ का कहना है कि ठगों ने उनकी सभी संपत्तियों और बैंक खातों की जानकारी भी मांगी और जांच के नाम पर आरबीआई और सीबीआई का डर दिखाकर उनसे पैसे निकलवाते रहे। परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए उन्होंने पानिपत में अपने फ्लैट बेचने से लेकर कार बेचने तक का सहारा लिया। इस तरह ठगों ने कुल मिलाकर उनसे 51 लाख रुपये ठग लिए।

'डिजिटल अरेस्ट' की अवधारणा

डिजिटल अरेस्ट एक नई साइबर धोखाधड़ी की पद्धति है जिसमें ठग खुद को कानून प्रवर्तन अधिकारी बताकर डराने-धमकाने का सहारा लेते हैं और व्यक्ति को मानसिक रूप से कैद कर लेते हैं। वे लगातार वीडियो कॉल के माध्यम से व्यक्ति की गतिविधियों पर नजर रखते हैं और धमकी देते हैं कि अगर वह सहयोग नहीं करेगा तो उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

पीएम मोदी की चेतावनी

हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 'मन की बात' में इस मामले का जिक्र करते हुए नागरिकों से सतर्क रहने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की साइबर ठगी लोगों को उनके मेहनत से कमाए पैसों से वंचित कर देती है और समाज में भय का माहौल पैदा करती है। विशेषज्ञों के अनुसार, ये अपराधी लोगों को आसानी से डराकर बड़ी रकम हड़प लेते हैं।

साइबर पुलिस का कदम

हरिनाथ ने आखिरकार 24 अक्टूबर को चंडीगढ़ साइबर पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई। साइबर पुलिस अधीक्षक केतन बंसल के अनुसार, मामले की जांच की जा रही है और जल्द ही दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने जनता को इस तरह के ठगी के मामलों से सतर्क रहने की भी सलाह दी है। बंसल ने कहा कि इन अपराधों को रोकने के लिए सबसे जरूरी है कि लोग इस प्रकार की ठगी के प्रति जागरूक रहें और किसी भी संदिग्ध कॉल पर जांच-पड़ताल जरूर करें।

यह घटना सिर्फ हरिनाथ तक ही सीमित नहीं है; आज के डिजिटल युग में कई लोग साइबर ठगी के शिकार हो रहे हैं। इस मामले से यह स्पष्ट होता है कि अपनी सुरक्षा को लेकर सतर्क रहना, संदेहास्पद कॉल से दूरी बनाना और किसी भी संदिग्ध गतिविधि के प्रति जागरूक रहना बेहद जरूरी है। साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों की सलाह है कि इस तरह की स्थिति में तुरंत अपने परिवार को जानकारी दें और किसी भी प्रकार की वित्तीय जानकारी साझा करने से पहले ठगों की पहचान को सत्यापित करें।


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