गुजरात में बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट: 12 पुलों के निर्माण ने बढ़ाई गति, तैयारियों की झलक
2024-11-05 06:19:21
गुजरात में 508 किलोमीटर लंबे मुंबई-आधारित बुलेट ट्रेन कॉरिडोर के निर्माण में तेजी आई है। अधिकारियों के अनुसार, इस प्रोजेक्ट के तहत 20 नदियों के पुलों में से 12 का निर्माण पूरा हो चुका है। यह प्रोजेक्ट न केवल समय को कम करेगा, बल्कि यात्रा की सुविधाओं को भी बडे़ स्तर पर बेहतर बनाएगा।
निर्माण की जानकारी:
हाल ही में कन्हेरा नदी पर 120 मीटर लंबा पुल बनकर तैयार हुआ है। यह पुल नवसारी जिले में स्थित है और इसे 29 अक्टूबर 2024 को पूरा किया गया। राष्ट्रीय उच्च गति रेल निगम लिमिटेड (NHSRCL) के अनुसार, यह पुल वापी और सूरत के बीच बुलेट ट्रेन स्टेशनों के लिए बनाये गए नौ नदी पुलों में से एक है।
प्रोजेक्ट का विस्तार:
बुलेट ट्रेन परियोजना का विस्तार गुजरात (352 किमी) और महाराष्ट्र (156 किमी) में हो रहा है। इसमें 12 स्टेशनों की योजना बनाई गई है, जिनमें मुंबई, ठाणे, विरार, बोइसर, वापी, बिलिमोरा, सूरत, भरूच, वडोदरा, आनंद/नडियाद, अहमदाबाद और साबरमती शामिल हैं। यह ट्रेन अहमदाबाद और मुंबई के बीच यात्रा के समय को लगभग 3 घंटे तक कम करेगी, जो वर्तमान में 6 से 8 घंटे है।
पुलों का विवरण:
कन्हेरा नदी के अलावा, वापी और सूरत के बीच अन्य पुलों का निर्माण पार, पुर्णा, माइंडहोल, अम्बिका, औरणगा, कोलक, कावेरी और वेगनिया नदियों पर भी किया गया है। इस प्रोजेक्ट में धधार, मोहर और वत्रक नदियों पर पुल भी शामिल हैं।
भूमि अधिग्रहण और विकास:
21 अक्टूबर 2024 तक, प्रोजेक्ट के लिए आवश्यक सभी 1,389.5 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण कर लिया गया है। साथ ही, सभी सिविल और डिपो टेंडर भी स्वीकृत किए जा चुके हैं। इस दौरान, सभी 12 स्टेशनों पर कार्य चल रहा है और एक 21 किलोमीटर लंबी समुद्री सुरंग का निर्माण भी शुरू हो गया है।
समुद्री सुरंग की विशेषताएँ:
यह समुद्री सुरंग लगभग 36 मीटर की गहराई पर है और इसका व्यास 12.1 मीटर है, जिसमें बुलेट ट्रेन के दोनों अप और डाउन ट्रैक को समाहित किया गया है। भारत में पहली बार इस बड़े व्यास की समुद्री सुरंग का निर्माण किया जा रहा है। NHSRCL ने कहा कि 21 किलोमीटर में से 16 किलोमीटर सुरंग को टनल बोरिंग मशीन (TBM) का उपयोग करके बनाया जाएगा, जबकि शेष 5 किलोमीटर न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग विधि (NATM) से बनाए जाएंगे।
इस बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट ने न केवल गुजरात और महाराष्ट्र के बीच की दूरी को कम करने की संभावना दिखाई है, बल्कि यह भारतीय परिवहन प्रणाली में एक नई ऊँचाई भी प्रदान करेगा। इस प्रोजेक्ट के सफल समापन से यात्रा की सुविधाएं और गति दोनों में सुधार होगा।