रोशनी के त्यौहार ने छीनी आखों की रोशनी: 12 लोगों ने गंवाई आंखों की रोशनी, 50 से अधिक घायल
के कुमार आहूजा 2024-11-04 12:14:23
दिवाली का त्योहार रोशनी और खुशियों का प्रतीक माना जाता है, लेकिन राजस्थान के कोटा संभाग में यह त्योहार कई परिवारों के लिए दर्दनाक बन गया। पटाखों की वजह से दुर्घटनाओं में करीब 12 लोगों ने अपनी आंखों की रोशनी खो दी, जबकि 50 से अधिक लोग गंभीर नेत्र चोटों से जूझ रहे हैं। खासतौर पर छोटे बच्चों और युवाओं को इस साल पटाखों से हुए हादसों का खामियाजा भुगतना पड़ा है, जिनमें अधिकांश का इलाज कोटा के एमबीएस अस्पताल में चल रहा है।
डॉ. अशोक मीणा, नेत्र रोग विभागाध्यक्ष, एमबीएस अस्पताल
एमबीएस अस्पताल के नेत्र रोग विभागाध्यक्ष डॉ. अशोक मीणा ने बताया कि बीते कुछ दिनों में करीब 24 मरीज पटाखों से चोटिल होकर यहां पहुंचे, जिनमें से कई को गंभीर दृष्टि हानि हुई है। इनमें 10 से 22 वर्ष की उम्र के युवा और बच्चे शामिल हैं, जिनमें से चार की दृष्टि वापस आ पाएगी या नहीं, यह उनके उपचार पर निर्भर है। उन्होंने बताया कि एक मामले में रॉकेट फटने से कांच का टुकड़ा मरीज की आंख में घुस गया, जिससे उसकी पलकें कट गईं और आंख के परदे को भी नुकसान पहुंचा। इसके अलावा, चेहरे पर गंभीर जलन के मामलों के इलाज की भी आवश्यकता पड़ी।
डॉ. सुरेश पांडे, निदेशक, सुवि आई हॉस्पिटल
सुवि आई हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. सुरेश पांडे के अनुसार, यहां 12 मरीज पटाखों से घायल होकर पहुंचे, जिनमें कई नेत्र आघात से पीड़ित थे। इन घायलों में कॉर्निया (पुतली) में चोट, पलकों का जलना, आंखों में पटाखे की राख का चिपकना और संक्रमण की समस्याएं शामिल थीं। एक 23 वर्षीय युवक और 12 वर्षीय बच्ची ने तो इन चोटों के कारण मोतियाबिंद भी विकसित कर लिया है, जिसके लिए उन्हें एक महीने बाद लेंस प्रत्यारोपण की जरूरत होगी।
सांगोद में युवक गंभीर रूप से घायल
सांगोद में 18 वर्षीय युवक ने पटाखे जलाने के दौरान स्टील के बर्तन में पटाखे जलाए, जिससे बर्तन के टुकड़े उसके कंधे और धड़ में घुस गए। इन टुकड़ों को निकालने के लिए सर्जरी की गई। विशेषज्ञों के अनुसार, आग के संपर्क में आने से अक्सर पटाखे विस्फोटक कणों की तरह व्यवहार करते हैं, जिससे ये शरीर के अंदर जाकर घातक घाव बनाते हैं।
इस तरह की घटनाओं से सबक लेते हुए डॉक्टरों और विशेषज्ञों ने लोगों से पटाखों का सुरक्षित और संतुलित उपयोग करने की अपील की है, ताकि भविष्य में इस तरह की दुर्घटनाओं से बचा जा सके।