वक्फ संशोधन बिल पर मौलाना अरशद मदनी का विरोध, मुस्लिम समुदाय में विरोध की लहर
के कुमार आहूजा 2024-11-04 08:03:49
झारखंड में रविवार, 3 नवंबर 2024 को आयोजित जमीयत उलेमा-ए-हिंद के सम्मेलन में मौलाना अरशद मदनी ने वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दी। दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में इस सम्मेलन के दौरान मदनी ने वर्तमान सरकार पर फिरकापरस्ती को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए कहा कि वक्फ बिल मुस्लिम समुदाय के लिए एक संवेदनशील मुद्दा है, जिसे समझने की जरूरत है। मदनी ने विशेष रूप से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और टीडीपी अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू को संबोधित करते हुए कहा कि मुस्लिम समुदाय की भावनाओं को समझे बिना सरकार इस विधेयक को पारित नहीं कर सकती है।
मुस्लिम हितों की रक्षा के लिए अपील
विधेयक का विरोध करते हुए मदनी ने कहा कि इस कानून में ‘जहर’ है, जो मुस्लिम समुदाय को नुकसान पहुंचा सकता है। उन्होंने दो टूक कहा कि वक्फ संपत्तियों की रक्षा करना समुदाय के अधिकारों का हिस्सा है, और इस कानून के माध्यम से सरकार उन अधिकारों को कमजोर कर रही है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि यह विधेयक पास हो जाता है, तो इसके नतीजों की जिम्मेदारी नीतीश कुमार और टीडीपी जैसी पार्टियों पर भी होगी, जिन्होंने गठबंधन में बीजेपी का समर्थन किया है। मदनी ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इस विधेयक से धार्मिक स्वतंत्रता पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।
बड़े स्तर पर जन समर्थन जुटाने की योजना
जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने वक्फ बिल के विरोध में एक बड़े जन समर्थन जुटाने की योजना बनाई है। 15 दिसंबर को चंद्रबाबू नायडू के क्षेत्र में पांच लाख मुस्लिमों की रैली आयोजित करने का ऐलान किया गया है। इसके साथ ही, 24 नवंबर को पटना में एक विशाल सम्मेलन भी होगा, जिसमें नीतीश कुमार के शामिल होने की उम्मीद है। इस आयोजन का उद्देश्य मुस्लिम समुदाय को संगठित करना और सरकार तक उनकी आवाज़ को पहुंचाना है। मदनी ने कहा कि नायडू की ओर से उनके प्रतिनिधि नवाब जान और अन्य नेताओं के साथ बातचीत कर यह संदेश दिया गया है कि टीडीपी इस मुद्दे को गंभीरता से लेगी।
एआईएमपीएलबी का समर्थन
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने भी इस मुद्दे पर जमीयत का समर्थन किया है। हाल ही में बेंगलुरु में AIMPLB महासचिव मौलाना मोहम्मद फजलूर्रहीम मुजद्दीदी ने कहा कि लाखों मुसलमानों ने इस विधेयक के खिलाफ अपनी असहमति जताई है और सरकार से अपील की है कि यदि मुस्लिम समुदाय विधेयक में संशोधन नहीं चाहता, तो उसे पारित नहीं किया जाना चाहिए। मुजद्दीदी ने कहा कि जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) को इस विधेयक पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और मुस्लिम समुदाय की इच्छाओं का सम्मान करना चाहिए।
जेपीसी के साथ बैठक और भविष्य की रणनीति
सरकार ने इस विवादास्पद विधेयक को लेकर जेपीसी की बैठकें आयोजित की हैं, जिसमें कानून और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के प्रतिनिधियों ने विधेयक के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की है। मौलाना मदनी और AIMPLB के अन्य सदस्य इस बिल के संभावित परिणामों पर लगातार विपक्षी दलों और जेपीसी सदस्यों के साथ मुलाकात कर रहे हैं। जमीयत और AIMPLB का मानना है कि यह विधेयक वक्फ बोर्ड की शक्ति को सीमित कर सकता है, जिससे मुस्लिम संपत्तियों की सुरक्षा कमजोर होगी।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद और AIMPLB ने विधेयक के कानूनी पहलुओं पर विचार करते हुए इसे संवैधानिक रूप से चुनौती देने की तैयारी भी की है। मदनी ने अंत में कहा कि मुस्लिम समुदाय के लिए उनकी आवाज़ उठाने के लिए यह वक्त महत्वपूर्ण है, और वे इसे लेकर किसी भी तरह का समझौता नहीं करेंगे।