क्या Goldman Sachs की रिपोर्ट की चुनौती होगी पूरी? भारत में 10 मिलियन नई नौकरियों की जरूरत


के कुमार आहूजा  2024-11-03 18:11:13



 

भारत में आर्थिक विकास को बनाए रखने और रोजगार संकट को हल करने के लिए एक नई रिपोर्ट से यह सामने आया है कि भारत को आगामी वित्तीय वर्षों (FY25 से FY30) में हर साल 10 मिलियन नौकरियां पैदा करने की आवश्यकता होगी। Goldman Sachs की इस रिपोर्ट में कई सिफारिशें दी गई हैं जो भारत के कार्यबल में समावेशिता बढ़ाने और आर्थिक उन्नति को स्थिर बनाए रखने की क्षमता रखती हैं।

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:

Goldman Sachs की रिपोर्ट के अनुसार, अगर भारत को 6.5% की वार्षिक GVA (Gross Value Added) वृद्धि बनाए रखनी है, तो उसे नौकरी सृजन में तेजी लानी होगी। रिपोर्ट के मुताबिक, रियल एस्टेट सेक्टर में "अफोर्डेबल हाउसिंग" को बढ़ावा देने से रोजगार में तेजी आ सकती है, क्योंकि इस क्षेत्र में 80% से अधिक निर्माण श्रमिक कार्यरत हैं। इससे विभिन्न स्तरों पर रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी और अर्थव्यवस्था को स्थिरता मिलेगी।

टियर-2 और टियर-3 शहरों में आईटी हब का विकास:

रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि भारत को अपने आईटी और GCC (Global Capability Centers) हब को टियर-2 और टियर-3 शहरों में स्थापित करना चाहिए। इससे बड़े शहरों पर दबाव कम होगा और छोटे शहरों में रोजगार के नए अवसर खुलेंगे। ये क्षेत्र न केवल तकनीकी कौशल वाले युवाओं को बल्कि विभिन्न स्तर के कौशल धारकों के लिए भी रोजगार के विकल्प पेश करेंगे।

मैन्युफैक्चरिंग में श्रम-गहन क्षेत्रों को प्रोत्साहन:

Goldman Sachs की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि वर्तमान में सरकार की Production-Linked Incentive (PLI) योजनाओं का लाभ मुख्य रूप से पूंजी-गहन उद्योगों को मिल रहा है। हालांकि, रिपोर्ट में आशा जताई गई है कि भविष्य में ये योजनाएँ कपड़ा, खाद्य प्रसंस्करण और फर्नीचर जैसे श्रम-गहन क्षेत्रों की ओर रुख कर सकती हैं। इससे निम्न-से-मध्यम स्तर के कौशल वाले श्रमिकों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में रोजगार में वृद्धि होगी।

निर्माण और सेवा क्षेत्र में वृद्धि:

रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो दशकों में भारत में लगभग 196 मिलियन नौकरियों का सृजन हुआ है, जिनमें से दो-तिहाई नौकरियां पिछले दशक में बनीं। निर्माण क्षेत्र, जिसमें कुल रोजगार का लगभग 13% योगदान है, अब भी भारत में रोजगार का एक प्रमुख स्तंभ बना हुआ है। साथ ही, सेवा क्षेत्र, जिसमें 34% रोजगार शामिल है, विशेष रूप से डिजिटल क्रांति और ऑनलाइन प्लेटफार्मों के प्रसार से लाभान्वित हो रहा है। इस बदलाव से नए प्रकार की नौकरियां उत्पन्न हो रही हैं, जैसे कि इन्वेंटरी प्रबंधन, पैकेजिंग और डिलीवरी सेवाएँ।

महिलाओं की श्रम शक्ति में बढ़ोतरी:

रिपोर्ट में यह भी रेखांकित किया गया है कि भारत की श्रम भागीदारी दर (LFPR) FY18 के 50% से बढ़कर FY24 में 60% हो गई है। इसमें विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में महिला भागीदारी में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है। वित्तीय समावेशन और महिला लक्षित क्रेडिट योजनाओं ने इस वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके अतिरिक्त, छोटे और सूक्ष्म उद्यमों में बढ़ते अवसरों ने भी महिलाओं के कार्यबल में योगदान को बढ़ावा दिया है।

जनसांख्यिकीय अवसर:

रिपोर्ट का कहना है कि भारत एक अद्वितीय जनसांख्यिकीय चरण से गुजर रहा है, जहां इसकी कामकाजी आबादी बढ़ रही है और निर्भरता अनुपात कम है। इस लाभकारी दौर का उपयोग रोजगार और आर्थिक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अगले 20 वर्षों तक किया जा सकता है। सरकार और निजी क्षेत्र को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे इस अवसर को सही तरीके से उपयोग करें, ताकि देश में रोजगार के नए आयाम खुल सकें।

भारत के लिए एक स्थिर और समृद्ध आर्थिक भविष्य की ओर अग्रसर होने के लिए अगले कुछ वर्षों में रोजगार के अवसरों का निर्माण अत्यंत आवश्यक है। Goldman Sachs की रिपोर्ट से स्पष्ट है कि अगर सरकार ने उपयुक्त क्षेत्रों में निवेश और नीतियों को लागू किया, तो यह लक्ष्य प्राप्त करने में मदद मिलेगी। रियल एस्टेट से लेकर मैन्युफैक्चरिंग और आईटी सेक्टर तक, हर क्षेत्र में निवेश और नीतिगत सुधार भारत के युवाओं के लिए बेहतर संभावनाएं खोल सकते हैं।


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