भारत की सूर्य पर पैनी नजर: लद्दाख में लगेगा नेशनल लार्ज सोलर टेलीस्कोप


के कुमार आहूजा  2024-11-03 10:08:44



 

भारत जल्द ही सूर्य के रहस्यों को समझने और उसकी सतह पर हो रही गतिविधियों का विश्लेषण करने के लिए लद्दाख में एक अत्याधुनिक नेशनल लार्ज सोलर टेलीस्कोप (एनएलएसटी) स्थापित करने जा रहा है। इस परियोजना की खास बात यह है कि यह भारत का अब तक का सबसे बड़ा सौर टेलीस्कोप होगा, जो देश की खगोल विज्ञान में गहरी रुचि और महत्वाकांक्षी प्रयासों को दर्शाता है।

लद्दाख में 4,200 मीटर की ऊंचाई पर होगा टेलीस्कोप

यह विशाल टेलीस्कोप लद्दाख के मेराक क्षेत्र में पैंगोंग झील के किनारे 4,200 मीटर की ऊंचाई पर स्थापित किया जाएगा। द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (आईआईए), बेंगलुरु इस परियोजना का नेतृत्व कर रहा है, जिसकी निदेशक प्रोफेसर अन्नपूर्णी सुब्रमण्यम हैं। परियोजना के लिए भूमि का अधिग्रहण पहले ही किया जा चुका है, और अब अंतिम मंजूरी का इंतजार है। आईआईए ने कहा है कि यह टेलीस्कोप सूर्य पर हो रहे भौतिक घटनाओं और चुंबकीय गतिविधियों की बारीकियों का विश्लेषण करने में मददगार साबित होगा।

टेलीस्कोप की विशेषताएं और महत्व

एनएलएसटी एक दो मीटर क्लास का टेलीस्कोप होगा, जिसमें ऑप्टिकल और निकट इन्फ्रा-रेड अवलोकन की सुविधा होगी। इसकी जगह चुनने का मुख्य कारण लद्दाख की उच्च ऊंचाई और वहां का ठंडा रेगिस्तानी मौसम है। यह स्थान अवलोकन के लिए उपयुक्त है क्योंकि वहां का आसमान साफ और पारदर्शी रहता है, जिससे सूर्य की गतिविधियों का स्पष्ट अध्ययन हो सकेगा। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, एनएलएसटी का रिजॉल्यूशन 0.1-0.3 आर्क-सेकंड होगा, जो वैज्ञानिकों को सौर चुंबकीय क्षेत्रों और उनकी गतिशीलता को समझने में मदद करेगा।

सौर तूफानों की भविष्यवाणी में मिलेगी सहायता

सौर तूफान या कोरोनल मास इजेक्शन जैसे घटनाक्रम सूर्य से बड़ी मात्रा में प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्रों के निष्कासन के कारण होते हैं। ये तूफान पृथ्वी से टकरा सकते हैं, जिससे भू-चुंबकीय तूफान उत्पन्न हो सकते हैं, जो हमारे संचार और नेविगेशन सिस्टम को बाधित कर सकते हैं। आईआईए के अनुसार, इस टेलीस्कोप के माध्यम से वैज्ञानिक इन सौर तूफानों की भविष्यवाणी करने में सक्षम होंगे, जिससे अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी पर निर्भर मानव जीवन को संभावित नुकसान से बचाया जा सकेगा। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, आईआईए और अन्य संस्थान इस दिशा में निरंतर शोध कर रहे हैं।

आदित्य एल1 और अन्य सौर परियोजनाओं का समर्थन

आईआईए ने यह भी बताया कि यह टेलीस्कोप आदित्य एल1 उपग्रह मिशन और उदयपुर में स्थित जमीन-आधारित सौर दूरबीन के साथ मिलकर काम करेगा। इस परियोजना के तहत सौर वायुमंडल और सूर्य के ऊपरी परतों में होने वाली गतिविधियों का भी गहराई से अध्ययन किया जा सकेगा। आदित्य एल1 मिशन का उद्देश्य सूर्य के कोरोना, क्रोमोस्फीयर और फोटोस्फीयर का अध्ययन करना है। एनएलएसटी इन परियोजनाओं की महत्वपूर्ण पुष्टि और समर्थन प्रदान करेगा, जिससे वैज्ञानिक समुदाय को सौर घटनाओं की व्यापक जानकारी मिल सकेगी।

भारत की खगोल विज्ञान में बड़ी उपलब्धि

यह परियोजना भारत के खगोल विज्ञान क्षेत्र में एक नई और महत्वपूर्ण उपलब्धि साबित होगी। लद्दाख में इस दूरबीन की स्थापना से भारतीय वैज्ञानिकों को सूर्य पर गहराई से शोध करने का अवसर मिलेगा और यह परियोजना अंतरराष्ट्रीय खगोल विज्ञान के क्षेत्र में भारत की स्थिति को मजबूत करेगी। इसके अलावा, सौर तूफानों और उनके प्रभावों की जानकारी समय रहते मिलने से विभिन्न देशों को सुरक्षित रखने में भी मदद मिलेगी।

एनएलएसटी का निर्माण और स्थापना भारतीय खगोल विज्ञान की दिशा में एक बड़ा कदम है। लद्दाख का चयन इस परियोजना के लिए उपयुक्त माना जा रहा है, और इसे सफलतापूर्वक स्थापित कर लेने पर सूर्य से जुड़ी वैज्ञानिक शोध की संभावनाओं का दायरा और विस्तृत होगा।


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