दिवाली पर ईशा योग केंद्र में उमड़ा भक्तों का सैलाब, आदियोगी की पूजा में झूमे आदिवासी और श्रद्धालु


के कुमार आहूजा  2024-11-03 10:00:48



 

दिवाली के पावन अवसर पर तामिलनाडु के ईशा योग केंद्र में इस बार कुछ खास देखने को मिला। यहां स्थानीय आदिवासी समुदायों के लोग भगवान आदियोगी की पूजा-अर्चना में ऐसे लीन हुए कि सभी भक्तों को एक अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त हुआ। नृत्य, संगीत और भक्ति का ये अद्भुत संगम देखते ही बन रहा था। इस विशेष अवसर पर केंद्र में 75,000 से भी अधिक श्रद्धालु उपस्थित हुए और आदियोगी की कृपा का आनंद लिया।

ईशा योग केंद्र में दिवाली का उत्सव: 

तिरुवनमलाई जिले में स्थित ईशा योग केंद्र, दिवाली के मौके पर खासा गुलजार नजर आया। यह केंद्र सद्गुरु जग्गी वासुदेव द्वारा स्थापित एक योग और आध्यात्मिकता का अद्भुत केंद्र है, जो आदियोगी शिव की भव्य प्रतिमा और उनके आशीर्वाद के लिए प्रसिद्ध है। यहां पर हर वर्ष विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों के माध्यम से लोगों को आध्यात्मिकता से जोड़ने का कार्य किया जाता है।

स्थानीय आदिवासियों की भागीदारी: 

इस दिवाली उत्सव की खास बात रही स्थानीय आदिवासी गांवों के लोगों की भागीदारी। आदिवासी समुदाय ने पारंपरिक वेशभूषा में भगवान आदियोगी की पूजा की और नृत्य-संगीत के माध्यम से अपनी संस्कृति का प्रदर्शन किया। आदिवासी लोगों ने भक्ति से भरे नृत्य और संगीत प्रस्तुतियां दी, जिससे यह आयोजन और भी जीवंत हो गया। आदियोगी के प्रति आदिवासी समुदाय की श्रद्धा और प्रेम का यह अद्भुत दृश्य था जिसने सभी आगंतुकों का मन मोह लिया।

आदियोगी की भव्य पूजा और आयोजन: 

ईशा योग केंद्र के इस आयोजन में दिवाली की रात आदियोगी की पूजा विशेष रीति-रिवाजों से की गई। साधक और भक्तगण भगवान आदियोगी की प्रतिमा के सामने एकत्रित हुए और दीपों के प्रकाश से रोशन हुए इस आध्यात्मिक स्थल पर विशेष आरती और मंत्रों का जाप किया गया। आदियोगी की पूजा के दौरान होने वाले नृत्य और गीतों ने इस पूजा को और भी प्रभावशाली बना दिया, जिसमें हर कोई भक्ति में खो सा गया।

भक्तों का विशाल जमावड़ा: 

इस आयोजन में 75,000 से अधिक श्रद्धालुओं ने भाग लिया। केंद्र में इस अद्वितीय दिवाली समारोह को देखने के लिए दूर-दूर से भक्त पहुंचे। सद्गुरु की उपस्थिति में भक्तों ने अपनी समस्याओं से छुटकारा पाने और आत्मिक शांति के लिए आदियोगी से आशीर्वाद मांगा। हर कोने से श्रद्धालुओं की भीड़ ईशा योग केंद्र में नजर आई, जिससे केंद्र का माहौल पूरी तरह भक्तिमय हो गया।

दिवाली पर ईशा योग केंद्र का खास संदेश: 

इस आयोजन का उद्देश्य केवल भगवान की पूजा ही नहीं बल्कि भक्तों के बीच एकता और सामूहिकता की भावना को जागृत करना था। सद्गुरु के संदेश के अनुसार, दिवाली का असल मतलब केवल दीप जलाना नहीं है बल्कि आत्मा के अंधकार को दूर कर स्वयं को उजाले की ओर ले जाना है। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि आदियोगी की भक्ति में डूब कर सभी साधक अपनी आत्मिक यात्रा को आगे बढ़ा सकते हैं।

आध्यात्मिकता और संस्कृति का अनूठा संगम: 

ईशा योग केंद्र का यह दिवाली आयोजन सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि एक सामुदायिक उत्सव था, जिसमें भक्ति, संगीत, नृत्य और आत्मिक ऊर्जा का अद्भुत संगम देखने को मिला। आदिवासी लोगों की संस्कृति और उनकी आस्था का यह मिला-जुला रूप सभी के दिलों को छू गया। यह आयोजन न केवल एक धार्मिक अनुभव था बल्कि एक सांस्कृतिक आदान-प्रदान भी था जो दिवाली के इस अवसर को और विशेष बना गया।


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