दीवाली के बाद अन्नकूट पर्व पर काशी में माता अन्नपूर्णा का भव्य भोग, 56 प्रकार के व्यंजनों का चढ़ावा


के कुमार आहूजा  2024-11-03 05:01:37



 

दीपावली के अगले दिन, अन्नकूट पर्व की पावन परंपरा वाराणसी में अनूठे अंदाज में मनाई जाती है। इस वर्ष भी माता अन्नपूर्णा मंदिर में 511 क्विंटल अन्न से बने 56 भोगों की भव्य अर्पण ने श्रद्धालुओं का मन मोह लिया। भव्य अन्नकूट पूजा के साथ भक्तों को बाबा विश्वनाथ और माता अन्नपूर्णा के आशीर्वाद का लाभ लेने का अंतिम अवसर मिला।

अन्नकूट की परंपरा और महत्व:

दीपावली के अगले दिन अन्नकूट पर्व के रूप में जाना जाता है। यह पर्व माता अन्नपूर्णा को अर्पित खाद्य सामग्री के लिए विशेष रूप से मनाया जाता है, जिन्हें भोजन और अन्न की देवी माना जाता है। इस दिन को अन्नदान और भोग की परंपरा से जोड़ा जाता है, जहां विविध प्रकार के भोजन देवी को समर्पित किए जाते हैं, जिससे समृद्धि और खुशहाली का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस बार, काशी के प्रसिद्ध अन्नपूर्णा मंदिर में 511 क्विंटल खाद्य पदार्थों का 56 प्रकार के भोग का भव्य आयोजन किया गया।

माता अन्नपूर्णा के मंदिर में 56 प्रकार के भोग:

माता अन्नपूर्णा के प्रमुख पुजारी, शिवानंद गिरि, बताते हैं कि "आज अन्नकूट के अवसर पर 56 प्रकार के भोग देवी को अर्पित किए गए हैं।" इस भव्य आयोजन के तहत माता अन्नपूर्णा को अर्पित किए गए भोग में मिठाइयाँ, फलों से लेकर कई प्रकार के अनाज और पकवान शामिल थे। इस पूजा का धार्मिक महत्व है, जहाँ भोग के माध्यम से श्रद्धालु देवी से अन्न और समृद्धि का आशीर्वाद मांगते हैं।

अनुष्ठान का समापन और अंतिम दर्शन:

इस अवसर पर माता अन्नपूर्णा मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी, क्योंकि अन्नकूट का यह दिन माता के वार्षिक दर्शन का अंतिम दिन भी होता है। पुजारी शिवानंद गिरि ने जानकारी दी कि "आज रात 11 बजे के बाद माता अन्नपूर्णा का द्वार अगले वर्ष धनतेरस तक बंद हो जाएगा।" पाँच दिवसीय अनुष्ठान का यह समापन दिन था, और इसे बहुत ही श्रद्धा और भक्ति के साथ सम्पन्न किया गया।

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन का विशेष अवसर:

काशी विश्वनाथ मंदिर में भी अन्नकूट पर्व के दिन बाबा विश्वनाथ का भव्य श्रृंगार और पूजा का आयोजन हुआ। शंभू शरण, एसडीएम, ने बताया, "बाबा विश्वनाथ के दर्शन का यह अवसर शाम 6 बजे तक जारी रहेगा।" बाबा विश्वनाथ के दरबार में भी विशेष पूजा और भोग के माध्यम से भक्तों ने दर्शन का लाभ उठाया। इस पर्व पर बाबा के दर्शन का विशेष महत्त्व है, जो श्रद्धालुओं के जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि लाने का प्रतीक है।

भक्तों के लिए अद्वितीय आस्था का दिन:

अन्नकूट पर्व पर वाराणसी के इन दोनों मंदिरों में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा। मंदिरों में भक्तों की लम्बी कतारें रहीं, और भक्तों ने भक्ति और आस्था के साथ अन्नकूट के भोग का आनंद लिया। माँ अन्नपूर्णा की कृपा से अन्नकूट पर्व के इस आयोजन का दर्शन कर लोगों ने विशेष शांति और आनंद का अनुभव किया।

अन्नकूट की पूजा का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व:

अन्नकूट केवल धार्मिक आयोजन नहीं है बल्कि इसका एक गहरा सांस्कृतिक पहलू भी है। इस अवसर पर मंदिर में हजारों श्रद्धालु एक साथ आते हैं, जो समाज में एकता और प्रेम का संदेश देते हैं। वाराणसी में आयोजित इस पर्व के भव्य आयोजन ने एक बार फिर अन्न के महत्व और समाज में इसके वितरण की महत्ता को रेखांकित किया।


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