अक्टूबर में यूपीआई लेनदेन में बम्पर वृद्धि, 16.58 अरब लेनदेन ने तोड़े रिकॉर्ड


के कुमार आहूजा  2024-11-02 20:45:09



 

भारत में डिजिटल लेनदेन की दुनिया में एक नई ऊंचाई पर पहुंचते हुए, अक्टूबर 2024 में एक Unified Payments Interface (UPI) पर आधारित लेनदेन की संख्या 16.58 अरब को पार कर गई, जिनकी कुल वैल्यू 23.5 लाख करोड़ रुपये थी। यह आंकड़ा अप्रैल 2016 में यूपीआई के संचालन शुरू होने के बाद का सबसे बड़ा है।

दैनिक लेनदेन में तेजी

नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर में दैनिक यूपीआई लेनदेन की संख्या 535 मिलियन और उनकी वैल्यू 75,801 करोड़ रुपये तक पहुंच गई। यह सितंबर में क्रमशः 501 मिलियन और 68,800 करोड़ रुपये थी। इस दौरान, Immediate Payment Service (IMPS) लेनदेन भी 9% की वृद्धि के साथ 467 मिलियन हो गए।

फास्टैग और एईपीएस लेनदेन में वृद्धि

फास्टैग लेनदेन में भी अक्टूबर में 8% की वृद्धि देखी गई, जिससे यह आंकड़ा 345 मिलियन तक पहुंच गया। इसके अलावा, Aadhaar Enabled Payment System (AePS) पर 126 मिलियन लेनदेन हुए, जो सितंबर के 100 मिलियन से 26% अधिक हैं। इस प्रकार, सभी डिजिटल लेनदेन माध्यमों में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है।

नकद के उपयोग में कमी

आरबीआई के मुद्रा प्रबंधन विभाग के अर्थशास्त्री प्रदीप भूयान के अनुसार, भारत में डिजिटल लेनदेन इस हद तक बढ़ गए हैं कि नकद का उपयोग, जो मार्च 2024 में उपभोक्ता व्यय का 60% है, तेजी से घट रहा है। मार्च 2021 में डिजिटल भुगतान का हिस्सा 14-19% था, जो मार्च 2024 में बढ़कर 40-48% हो गया। इस संदर्भ में यूपीआई का योगदान महत्वपूर्ण है।

आंकड़ों की ओर एक नजर

यूपीआई आधारित लेनदेन की संख्या इस वर्ष की पहली छमाही में 52% बढ़कर 78.97 अरब हो गई, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 51.9 अरब थी। इसी तरह, लेनदेन की वैल्यू में 40% की वृद्धि हुई है, जो 83.16 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 116.63 लाख करोड़ रुपये हो गई है।

आर्थिक सुधार का संकेत

इस निरंतर वृद्धि के साथ, यह स्पष्ट होता है कि भारत में डिजिटल भुगतान की प्रवृत्ति एक सकारात्मक संकेत है। जहां उपभोक्ता तेजी से डिजिटल माध्यमों की ओर बढ़ रहे हैं, वहीं व्यापार और सेवाओं में भी इस परिवर्तन का प्रभाव देखने को मिल रहा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह परिवर्तन न केवल उपभोक्ताओं के लिए, बल्कि अर्थव्यवस्था के लिए भी लाभकारी होगा।

जैसे-जैसे यूपीआई लेनदेन की संख्या बढ़ती जा रही है, यह स्पष्ट है कि भारतीय उपभोक्ता अब डिजिटल माध्यमों का उपयोग करने में अधिक सहज हो गए हैं। यह परिवर्तन न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती का संकेत है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे टेक्नोलॉजी वित्तीय लेनदेन के स्वरूप को बदल रही है।


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