सांवलियाजी मंदिर का जादू: केबीसी में पूछा गया सवाल, श्रद्धालुओं की खुशी का ठिकाना नहीं
के कुमार आहूजा 2024-11-02 11:49:42
सांवलियाजी मंदिर, जो राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित है, हाल ही में एक खास वजह से चर्चा में आया है। देश के मशहूर टीवी शो 'कौन बनेगा करोड़पति' (केबीसी) में इस मंदिर से जुड़े एक सवाल ने न केवल प्रतिभागियों को, बल्कि श्रद्धालुओं को भी उत्साहित कर दिया है। इस सवाल के माध्यम से इस प्रख्यात मंदिर की महत्ता एक बार फिर से उजागर हुई है, और इस दौरान सोशल मीडिया पर इसका एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है।
मंदिर की महत्ता
श्री सांवलियाजी मंदिर, जो कि मंडफिया कस्बे में स्थित है, देश-विदेश के श्रद्धालुओं का आस्था का केंद्र है। यहाँ पर लाखों लोग प्रतिदिन दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर की प्रसिद्धि का एक कारण यह भी है कि यहाँ अक्सर बड़े नेता और फिल्मी सितारे भी आते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला जैसे व्यक्ति यहाँ की चढ़ावा राशि और भव्यता को देखने आए हैं।
केबीसी में प्रश्न
हाल ही में, केबीसी के एक एपिसोड में अमिताभ बच्चन ने प्रश्न पूछा कि "चित्तौड़गढ़ के निकट सांवलिया सेठ मंदिर किस देवता को समर्पित है?" विकल्पों में भगवान शिव, भगवान कृष्ण, भगवान गणेश और भगवान इंद्र शामिल थे। प्रतिभागी ने सही उत्तर भगवान कृष्ण दिया, जिससे यह तथ्य और भी महत्वपूर्ण हो गया।
श्रद्धालुओं का प्यार और चढ़ावा
सांवलियाजी मंदिर में हर महीने करोड़ों का चढ़ावा चढ़ाया जाता है। खासतौर पर कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन, यहां औसतन 20 करोड़ रुपए की नगद चढ़ावा राशि निकलती है। इसके अलावा, श्रद्धालु सोने-चांदी के आभूषण भी अर्पित करते हैं, जिससे मंदिर की ख्याति और बढ़ जाती है। भक्तों का मानना है कि सांवलिया सेठ उनकी मनोकामनाएँ पूर्ण करते हैं, और इसलिए वे यहां नियमित रूप से चढ़ावा चढ़ाते हैं।
श्रद्धालुओं की भावनाएँ
इस मंदिर में आस्था रखने वाली एक प्रतिभागी अनु श्री ने केबीसी में भाग लेने के दौरान बताया कि भगवान की मूर्ति श्याम रंग की है, जिसे 'सांवलिया सेठ' के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर केवल धार्मिक महत्व का ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।
सांवलियाजी मंदिर की महत्ता केवल धार्मिक आस्था तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। केबीसी में इसका उल्लेख न केवल इस मंदिर की पहचान को और मजबूत करता है, बल्कि नई पीढ़ी के बीच इसे लोकप्रिय बनाने में भी मददगार साबित हो रहा है।