राजस्थान के स्कूलों में विवादित पुस्तकों का मामला: गोधरा कांड पर आधारित कंटेंट से मचा सियासी बवाल
के कुमार आहूजा 2024-11-02 09:21:54
राजस्थान के स्कूलों में विवादास्पद सामग्री वाले किताबों को लेकर उठा विवाद अब राजनीतिक मुद्दा बन चुका है। हाल ही में राज्य सरकार ने गोधरा कांड पर आधारित पुस्तकें स्कूल लाइब्रेरी से हटाने का आदेश जारी किया है। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर का आरोप है कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में इन पुस्तकों को सिलेबस में शामिल किया गया, जिसमें गोधरा कांड की घटनाओं को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत किया गया है।
पुस्तकें हटाने का निर्णय और विवाद
इस आदेश में मुख्य रूप से दो पुस्तकें - अदृश्य लोग – उम्मीद और साहस की कहानियां और जीवन की बहार शामिल हैं, जो 2002 के गोधरा कांड पर आधारित हैं। मदन दिलावर का कहना है कि इन पुस्तकों में गोधरा की घटना को ऐसे प्रस्तुत किया गया है जिससे समाज में गलत संदेश जाता है और सांप्रदायिकता भड़काने का खतरा बढ़ता है। उनके अनुसार, किताब में हिंदू समुदाय को नकारात्मक रूप में दिखाया गया है और तत्कालीन गुजरात सरकार पर बेबुनियाद आरोप लगाए गए हैं, जो विद्यार्थियों के मन पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
कांग्रेस के दावे और प्रतिक्रिया
पूर्व शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने इन आरोपों का विरोध करते हुए कहा कि उन्होंने इन पुस्तकों को मंजूरी नहीं दी थी और दिलावर के बयानों को झूठा करार दिया। डोटासरा ने कहा कि यह फैसला वर्तमान सरकार का है, जिसने इसे राजनीतिक मुद्दा बनाकर जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश की है। उनका दावा है कि कांग्रेस सरकार के समय में यह मामला सामने नहीं आया था और अब इसे जानबूझकर उछाला जा रहा है।
वैकल्पिक पुस्तकें जोड़ी गईं
मौजूदा सरकार ने विवादित पुस्तकों को हटाने के बाद वैक्सीन की गाथा और राजस्थानी भाषा की पुस्तक चिड़ी को मोती लादीओ को स्कूलों के पुस्तकालय में जोड़ने का निर्णय लिया है। शिक्षा मंत्री ने बताया कि यह नई किताबें कोविड-19 वैक्सीन और राजस्थानी संस्कृति पर आधारित हैं, जिनका उद्देश्य बच्चों को महामारी के प्रति जागरूक बनाना और राजस्थानी भाषा-संस्कृति को बढ़ावा देना है।
कानूनी जांच और राजनीतिक तकरार
शिक्षा मंत्री दिलावर ने कहा कि गोधरा कांड से संबंधित विषय पर कानूनी जांच जारी है और उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का पालन करते हुए उचित कार्रवाई की जाएगी। इस बीच, विवादित सामग्री वाली पुस्तकों को हटाने का निर्णय राजनीतिक तकरार का कारण बन गया है, जहाँ भाजपा और कांग्रेस एक-दूसरे पर शिक्षा के राजनीतिकरण का आरोप लगा रहे हैं। भाजपा का कहना है कि बच्चों के मन में इस तरह की सामग्री डालना अनुचित है, जबकि कांग्रेस का कहना है कि इसे गलत उद्देश्य से हटाया जा रहा है।
राजस्थान में शिक्षा से जुड़े इस मुद्दे ने अब सियासी रंग ले लिया है, और इसपर प्रदेश की जनता की भी निगाहें हैं। सरकार का यह निर्णय शिक्षण सामग्री में निष्पक्षता बनाए रखने के लिए उठाया गया कदम है, या फिर यह एक राजनीतिक चाल, यह तो आने वाले समय में ही साफ होगा।