वक्फ़ संशोधन बिल: सैनिकों को अधिकार देने के सुझाव पर विवाद


के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा  2024-10-31 21:00:14



 

उत्तराखंड वक्फ़ बोर्ड के द्वारा दिए गए एक नए प्रस्ताव ने देशभर में एक नई बहस छेड़ दी है। वक्फ़ संपत्तियों के पुनर्वितरण पर जोर देते हुए, उत्तराखंड वक्फ़ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने कहा है कि देश के सैनिकों को वक्फ़ संपत्ति पर अधिकार मिलना चाहिए, क्योंकि सेना का धर्म से कोई संबंध नहीं होता और वे भी राष्ट्र के लिए समर्पित होते हैं। इस विचारधारा के समर्थन में, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे "एक अभिनव पहल" करार दिया और इसे वीरों की भूमि उत्तराखंड के अनुकूल बताया, जिसे अक्सर ‘सैनिक धाम’ के रूप में भी जाना जाता है।

वक्फ़ (संशोधन) बिल 2024 की समीक्षा के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति (JPC) ने देश भर से इस विधेयक पर सुझाव मांगे हैं। उत्तराखंड वक्फ़ बोर्ड का यह सुझाव उसी प्रक्रिया का एक हिस्सा है। JPC के प्रमुख जगदंबिका पाल ने मुस्लिम संगठनों से भी परामर्श किया और सभी सुझावों का उचित सम्मान किए जाने का आश्वासन दिया। लोकसभा सचिवालय ने एक विज्ञापन के माध्यम से आम जनता, विशेषज्ञों और गैर-सरकारी संगठनों से सुझाव मांगें हैं ताकि वक्फ़ संपत्तियों के सुचारू संचालन के लिए इस विधेयक में आवश्यक सुधार किए जा सकें।

विपक्षी दलों ने हालांकि इस संशोधन पर कई आपत्तियां उठाईं हैं, जो इसे वक्फ़ संपत्ति पर शासन के तरीके में एक बड़ा बदलाव मानते हैं। विपक्ष का कहना है कि इस प्रकार के संशोधन से वक्फ़ संपत्तियों के धार्मिक अधिकारों में अतिक्रमण हो सकता है। JPC की बैठक में इस विषय पर बहस हुई, और दिल्ली सरकार सहित कई संगठनों को समिति के समक्ष अपनी राय प्रस्तुत करने का मौका दिया गया।

शम्स ने बताया कि वक्फ़ संपत्ति "पूरे राष्ट्र की संपत्ति" है और सैनिक भी राष्ट्र के संरक्षक हैं। इस प्रकार, धार्मिक और सांप्रदायिक मतभेदों से परे सैनिकों को अधिकार देने का यह सुझाव वक्फ़ बोर्ड द्वारा राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने के उद्देश्य से दिया गया है। अब JPC की सिफारिशों पर निर्भर करता है कि इस सुझाव को अमल में लाया जाएगा या नहीं।

यह मामला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि वक्फ़ बोर्ड की संपत्तियों का प्रबंधन और प्रशासनिक ढांचा अब लंबे समय से विवादों में रहा है। इस बिल का उद्देश्य वक्फ़ संपत्तियों के बेहतर संचालन और प्रशासनिक सुधार को बढ़ावा देना है, जिसमें समय-समय पर स्थानीय समुदायों, सरकारों और बोर्ड सदस्यों के बीच विचार-विमर्श किया जा रहा है।


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