बाराबंकी में किसान गोष्ठी: पौष्टिक वाटिका से स्वस्थ जीवन का संदेश, पौष्टिक सब्जियों के बीज वितरित किए
के कुमार आहूजा 2024-10-31 14:36:08
खेती में आधुनिक तकनीक और धारणीयता की नई पहल के तहत बाराबंकी के देवा ब्लॉक में किसानों को पोषण और जैविक खेती की महत्ता से अवगत कराया गया। इस आयोजन का उद्देश्य है किसानों को अधिक स्वावलंबी बनाते हुए उन्हें स्वस्थ जीवन के लिए प्रेरित करना।
विस्तृत रिपोर्ट:
प्रो. एच. एस. श्रीवास्तव फाउंडेशन के धारणीय कृषि एवं पर्यावरण केंद्र, लखनऊ के सहयोग से बाराबंकी जिले के अकटहिया गाँव में एक विशेष किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य किसानों को पोषण गार्डन, जिसे पौष्टिक वाटिका भी कहते हैं, की अवधारणा से अवगत कराना और कम रासायनिक खादों के प्रयोग को बढ़ावा देना था। कार्यक्रम के अंतर्गत किसानों को मौसमी और पोषण से भरपूर सब्जियों के बीज वितरित किए गए।
केंद्र के प्रोग्राम मैनेजर आशीष सिंह ने किसानों को बताया कि अपने स्वयं के द्वारा उगाई गई सब्जियों का सेवन न केवल स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है, बल्कि इससे कृषि में लागत भी कम आती है। उन्होंने बताया कि पौष्टिक वाटिका में धनिया, मूली, चुकंदर, शलजम, मिर्च और टमाटर जैसे फसलें लगाई जा सकती हैं, जो पोषण से भरपूर होती हैं और स्वास्थ्य के लिए लाभदायक भी।
मल्टीटायर और फ्रूट बागान पर चर्चा
कार्यक्रम में मल्टीटायर (मचान) खेती और फलों के बागान के फायदों पर भी चर्चा की गई। आशीष सिंह ने किसानों को यह सुझाव दिया कि वे विभिन्न स्तरों पर अलग-अलग पौधों को लगाकर कम जगह में अधिक फसलें उगा सकते हैं। इस तकनीक से फसल उत्पादकता में बढ़ोतरी के साथ-साथ मिट्टी की गुणवत्ता भी बेहतर होती है।
महिला और पुरुष किसान समूहों की भागीदारी
इस कार्यक्रम में महिला और पुरुष किसानों ने सक्रियता से भाग लिया। उन्हें विभिन्न प्रकार की मौसमी सब्जियों के बीज प्रदान किए गए, जिन्हें वे अपने पौष्टिक वाटिका में उगाकर अपने परिवार के लिए पोषक तत्वों से भरपूर सब्जियां प्राप्त कर सकेंगे। किसानों ने इस पहल का स्वागत किया और धारणीय कृषि को बढ़ावा देने के अपने संकल्प को दोहराया।
धारणीय कृषि का संदेश
गोष्ठी के दौरान किसानों को बताया गया कि धारणीय कृषि का उद्देश्य है प्राकृतिक संसाधनों का संतुलित उपयोग और स्वस्थ भोजन की उपलब्धता। यह पहल न केवल कृषि उत्पादकता बढ़ाती है, बल्कि रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग को भी कम करती है, जिससे जमीन की उपजाऊ शक्ति भी सुरक्षित रहती है।
किसान गोष्ठी के इस आयोजन ने क्षेत्र के किसानों को पोषण और पर्यावरण सुरक्षा के प्रति जागरूक किया है। भविष्य में इस तरह के कार्यक्रम किसानों के जीवन को सुधारने और उनकी आय को बढ़ाने में सहायक सिद्ध होंगे।