क्यों मनाई जाती है नरक चतुर्दशी? रूप चौदस का धार्मिक महत्व और पौराणिक मान्यता 


के कुमार आहूजा  2024-10-31 08:13:15



 

रूप चौदस जिसे नरक चतुर्दशी और काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय परंपरा में विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखती है। यह दीपावली से एक दिन पूर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अत्याचारी असुर नरकासुर का वध करके उसे मृत्यु लोक से मुक्ति दिलाई थी, इसलिए इसे 'नरक चतुर्दशी' कहा जाता है​। इस दिन का मुख्य उद्देश्य आत्मा की शुद्धि, परिवार की सुख-समृद्धि और बुरी शक्तियों से मुक्ति प्राप्त करना है।

पौराणिक कथा का संदर्भ

रूप चौदस का एक विशेष पौराणिक संदर्भ यह है कि नरकासुर नामक दैत्य ने 16,000 कन्याओं को बंधक बना लिया था। भगवान श्रीकृष्ण ने इस दानव का वध कर उन्हें मुक्त कराया, जिसे समाज में बहुत बड़ा पराक्रम माना गया। तभी से इस दिन को उत्सव के रूप में मनाया जाने लगा। माना जाता है कि नरक चतुर्दशी पर स्नान और पूजा करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं, और उसे नरक के भय से मुक्ति मिलती है​।

पूजा विधि और परंपराएं

नरक चतुर्दशी के दिन विशेष पूजा-विधि होती है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर उबटन, आटा, तेल और हल्दी का लेप करके स्नान करना चाहिए, जिसे 'अभ्यंग स्नान' कहा जाता है। यह माना जाता है कि इस तरह के स्नान से रूप और सौंदर्य में वृद्धि होती है, इसलिए इसे 'रूप चौदस' भी कहा जाता है। शाम को माँ काली और यमराज की पूजा कर एक विशेष दीया जलाया जाता है, जिससे घर में सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना की जाती है​।

काली चौदस और दीपदान की परंपरा

काली चौदस पर देवी काली की पूजा विशेष रूप से की जाती है। देवी काली, जो दुर्गा का रौद्र रूप मानी जाती हैं, को नकारात्मक शक्तियों के नाश के लिए पूजनीय माना गया है। इस दिन की पूजा से व्यक्ति को शत्रु बाधा और अन्य मानसिक परेशानियों से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही, यह पर्व लोगों के लिए एक नई शुरुआत का संकेत है, जहाँ वे अपने जीवन से नकारात्मकताओं को दूर कर, सकारात्मकता का स्वागत करते हैं। यह मान्यता है कि इस दिन दीपदान करने से परिवार के सभी सदस्यों की अकाल मृत्यु का भय दूर होता है। यमराज को प्रसन्न करने के लिए रात के समय घर के बाहर एक दीपक जलाने की भी प्रथा है, जो रात्रि के अंधकार को दूर करता है और जीवन में प्रकाश लाता है​।

इस प्रकार, नरक चतुर्दशी या रूप चौदस का दिन आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण है, जो आत्मशुद्धि, परिवार के स्वास्थ्य और बुरी शक्तियों से मुक्ति की कामना के लिए मनाया जाता है।

अस्वीकरण: इस लेख में प्रस्तुत जानकारी प्राचीन धार्मिक मान्यताओं, परंपराओं और सांस्कृतिक आस्थाओं पर आधारित है। इन सुझावों का अनुसरण व्यक्तिगत आस्था और विश्वास पर निर्भर करता है। यह लेख केवल जानकारी और सांस्कृतिक संवर्धन के उद्देश्य से प्रस्तुत किया गया है। किसी भी उपाय या सुझाव का पालन करने से पहले व्यक्तिगत विवेक से निर्णय लें या किसी योग्य विशेषज्ञ से परामर्श लें।


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