महाराष्ट्र चुनाव 2024: यवतमाल के किसानों की आत्महत्याएं, न्यूनतम समर्थन मूल्य और बढ़ती महंगाई बने प्रमुख मुद्दे
के कुमार आहूजा 2024-10-30 18:14:14
महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में, आगामी विधानसभा चुनावों से पहले किसानों के लिए आत्महत्या और कृषि संकट के मुद्दे उभर कर सामने आए हैं। विशेष रूप से कपास और सोयाबीन उत्पादन के लिए प्रसिद्ध यह क्षेत्र किसानों की आर्थिक दिक्कतों के कारण राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में है। किसान संगठनों का मानना है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और महंगाई जैसे मुद्दों पर ध्यान देना आवश्यक है, ताकि किसानों की समस्याएं कम हो सकें। इस संकट के कारण यवतमाल को "किसानों की आत्महत्या का जिला" कहे जाने की स्थिति बन गई है, जिससे यहाँ के लोगों में आक्रोश है।
मुख्य मुद्दे और किसानों का संघर्ष:
यवतमाल जिले में कपास और सोयाबीन प्रमुख फसलें हैं, लेकिन किसानों की आय में स्थिरता नहीं है। कृषि संगठन "शेतकरी वर्करी संघटना" के अध्यक्ष सिकंदर शाह ने यवतमाल के किसानों की समस्याओं पर जोर देते हुए कहा कि जिले के किसानों को फसल का सही मूल्य नहीं मिल रहा है। शाह ने इसे "शर्म की बात" करार देते हुए कहा कि ऐसी स्थिति में यहाँ के किसानों का संकट लगातार बढ़ता जा रहा है और MSP को लेकर सरकार की उदासीनता किसानों की आत्महत्याओं को बढ़ावा देती है।
बढ़ती महंगाई और कृषि संकट:
यवतमाल के किसानों को फसल उत्पादन में महंगाई और जलवायु परिवर्तन का भी सामना करना पड़ रहा है। उर्वरक, बीज और अन्य कृषि संसाधनों की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी होने से उनकी लागत बढ़ गई है। हालांकि, उन्हें बाजार में उनकी उपज का उचित मूल्य नहीं मिलता, जिससे वे कर्ज के दलदल में फंस जाते हैं। सितंबर से अक्टूबर तक सिर्फ तीन दिनों में विदर्भ क्षेत्र में पांच किसानों ने आत्महत्या की, जो कि क्षेत्र की विकट स्थिति को दर्शाता है।
राजनीतिक दृष्टिकोण:
हालांकि आगामी विधानसभा चुनावों में इस मुद्दे पर राजनीतिक दलों का रुख देखने योग्य रहेगा, लेकिन किसान संगठनों का मानना है कि MSP, महंगाई और आत्महत्याओं पर ध्यान दिए बिना सरकार चुनावी वादे कर रही है। यहाँ का कृषि संकट न केवल स्थानीय बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ी चिंता बन चुका है। कई स्थानीय संगठन और नेता इन समस्याओं को सरकार के सामने लाने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि किसानों के लिए स्थायी समाधान ढूंढा जा सके।
बहरहाल, यवतमाल के किसान और उनके संगठन, सरकार से कृषि संकट के समाधान और MSP में स्थिरता की मांग कर रहे हैं, ताकि उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके। आगामी विधानसभा चुनाव में यह देखना अहम होगा कि क्या सरकारें इस मुद्दे को प्राथमिकता देती हैं या नहीं। शेतकरी वर्करी संघटना के अध्यक्ष सिकंदर शाह सहित कई स्थानीय नेता किसानों के साथ खड़े हैं और इस चुनाव में कृषि संकट के समाधान के लिए जागरूकता बढ़ाने की योजना बना रहे हैं।