आतंकवादियों से लोहा लेते हुए शहीद हुआ भारतीय सेना का बहादुर डॉग फैंटम
के कुमार आहूजा 2024-10-30 15:59:37
दिवाली के बीच आतंक फैलाने की कोशिश में लगे आतंकियों के मंसूबों को विफल करने में भारतीय सेना के बहादुर डॉग "फैंटम" ने अपनी जान गंवा दी। जम्मू के अखनूर में हुए इस अभियान में फैंटम ने अपने साहस से जवानों की रक्षा की और आतंकियों की गतिविधियों का पता लगाकर उनकी योजना को नाकाम किया।
विस्तृत रिपोर्ट:
सोमवार की सुबह जम्मू के अखनूर क्षेत्र के बट्टल जंगलों में आतंकियों ने भारतीय सेना के काफिले पर अचानक हमला किया। सूत्रों के अनुसार, यह हमला पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठनों द्वारा सीमा क्षेत्र में अस्थिरता फैलाने के प्रयास का हिस्सा था। सेना ने आतंकियों की गतिविधियों को नाकाम करने के लिए एक बड़े स्तर पर अभियान चलाया, जिसमें अत्याधुनिक तकनीक और स्निफर डॉग "फैंटम" ने अहम भूमिका निभाई।
फैंटम, एक बेल्जियन मेलिनोइस नस्ल का स्निफर डॉग, अपने असाधारण सूंघने की क्षमता के लिए जाना जाता था। उसकी उम्र मात्र तीन वर्ष थी, और अगस्त 2022 में उसकी तैनाती इस क्षेत्र में की गई थी। इस छोटे से कार्यकाल में उसने कई संवेदनशील अभियानों में अपनी सेवाएं दी थीं। सेना के अधिकारियों के अनुसार, आतंकियों के फरार होने की संभावित रूटों का पता लगाने में फैंटम ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। उसने न केवल छिपे हुए विस्फोटकों का पता लगाया बल्कि अपनी जान की परवाह किए बिना आतंकियों के पास पहुंच कर उनके ठिकाने का भी खुलासा किया।
अभियान के दौरान फैंटम ने आतंकियों से मुठभेड़ में गंभीर चोटें खाईं। सेना के मुताबिक, उसकी कुर्बानी ने न केवल सैनिकों को बचाया बल्कि आतंकियों के किसी भी संभावित हमले से रक्षा की। भारतीय सेना के डीफेंस पीआरओ ने फैंटम के बलिदान को सलाम करते हुए कहा कि उसकी बहादुरी और समर्पण को कभी भुलाया नहीं जाएगा। "फैंटम की बहादुरी ने कई जवानों की जान बचाई और इस ऑपरेशन को सफल बनाने में उसकी भूमिका अहम रही," उन्होंने कहा।
इस अभियान में ड्रोन, रात में निगरानी करने वाले उपकरणों और अन्य तकनीकी संसाधनों का भी सहारा लिया गया। इसके साथ ही, आतंकियों को घेरने और उन्हें भागने का मौका न देने के लिए व्यापक स्तर पर रणनीतिक प्रबंध किए गए। इस संयुक्त प्रयास से सेना आतंकियों के मंसूबों को पूरी तरह नाकाम करने में सफल रही। अभियान के दौरान सेना के किसी भी जवान को गंभीर नुकसान नहीं पहुंचा, और फैंटम की बहादुरी ने ऑपरेशन को पूरी तरह सफल बनाया।
फैंटम का बलिदान इस बात का प्रतीक है कि सेना के इन चौपाये योद्धाओं की भी अपनी जगह है और उनकी बहादुरी को सम्मानित किया जाना चाहिए।