सोलर प्लांट के लिए खेजड़ी वृक्षों की कटाई से आक्रोशित बिश्नोई समाज ने दी चेतावनी
के कुमार आहूजा 2024-10-29 18:53:37
बीकानेर में सोलर प्लांट लगाने के लिए खेजड़ी वृक्षों की लगातार कटाई ने बिश्नोई समाज में गहरा आक्रोश पैदा कर दिया है। खेजड़ी वृक्ष बिश्नोई समाज के धार्मिक आस्था का प्रतीक होने के कारण इसके कटने से समाज में तीव्र असंतोष और गुस्सा है। लंबे समय से समाज के लोग इस मुद्दे पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन सरकार द्वारा इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। इसी को लेकर जोधपुर के रातानाड़ा स्थित बिश्नोई धर्मशाला में एक विशेष विरोध सभा आयोजित की गई, जिसमें समाज के प्रमुख लोग और संत शामिल हुए।
धार्मिक आस्था और पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक खेजड़ी
बिश्नोई समाज के लिए खेजड़ी वृक्ष केवल पर्यावरण ही नहीं बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का प्रतीक भी है। सभा में मौजूद प्रमुख पर्यावरण प्रेमी रामनिवास बुद्धनगर ने बताया कि सरकार ने हाल ही में एक कैबिनेट फैसला लिया है, जिसमें सोलर प्लांट जैसी परियोजनाओं के लिए खेजड़ी के पेड़ों को काटने की अनुमति दी गई है। लेकिन इस फैसले के बावजूद खेजड़ी वृक्षों की कटाई के लिए कोई उचित नियम या कानून नहीं बनाया गया है। बुद्धनगर का कहना है कि यदि 10 नवंबर तक सरकार ने इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो बिश्नोई समाज उसी दिन से बीकानेर के रासीसर हाइवे पर धरना शुरू करेगा।
बिश्नोई समाज की चेतावनी और संस्कृति पर संकट
सभा में वक्ताओं ने खेजड़ी की कटाई को बिश्नोई समाज की सांस्कृतिक पहचान पर हमला बताया। संत रामाचार्य और लालादास धावा जैसे प्रमुख धर्मगुरुओं ने कहा कि खेजड़ी न केवल पर्यावरण संरक्षण में सहायक है, बल्कि यह समाज की धार्मिक मान्यताओं और पारंपरिक जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा है। बिश्नोई समाज का मानना है कि पर्यावरण का संरक्षण करना ही भगवान की सेवा करना है, और खेजड़ी वृक्ष उनके इस आदर्श का प्रतिनिधित्व करता है।
सभा के दौरान संतों और वक्ताओं ने प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि उनकी मांगों को नजरअंदाज किया गया और खेजड़ी वृक्षों की कटाई नहीं रोकी गई, तो समाज मजबूर होकर बड़े पैमाने पर आंदोलन करेगा। समाज के प्रमुखों ने सरकार से पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देने और खेजड़ी वृक्षों की कटाई पर तुरंत रोक लगाने की मांग की।
सभा में प्रमुख समाजसेवियों की भागीदारी और आक्रोश
इस सभा में बिश्नोई समाज के प्रमुख पर्यावरण प्रेमी जैसे परस राम, एसके बिश्नोई, रामपाल भवाद, नेताराम, और भंवरलाल समेत कई अन्य महत्वपूर्ण लोग उपस्थित रहे। सभा के दौरान वक्ताओं ने सरकार की संवेदनहीनता पर गहरी नाराज़गी जाहिर की और कहा कि खेजड़ी वृक्षों की कटाई का सिलसिला यदि यूं ही चलता रहा तो इसका पर्यावरण पर गहरा असर पड़ेगा। उन्होंने इस बात पर भी चिंता जताई कि सरकार ने अब तक इस विषय पर संवाद स्थापित करने का प्रयास नहीं किया है, जो बिश्नोई समाज के प्रति एक उदासीन रवैया दर्शाता है।
आगामी रणनीति और आंदोलन का संकेत
सभा में उपस्थित समाज के प्रमुखों और संतों ने सामूहिक रूप से निर्णय लिया कि 10 नवंबर तक सरकार द्वारा संतोषजनक प्रतिक्रिया न मिलने पर वे अपनी आवाज़ को और बुलंद करेंगे। इसी दिन से रासीसर हाइवे पर धरना शुरू करने की योजना बनाई गई है, जिसमें आसपास के अन्य गाँवों और समुदायों को भी शामिल करने का प्रयास किया जाएगा।
बिश्नोई समाज की एकजुटता का संदेश
इस सभा ने बिश्नोई समाज की एकजुटता और पर्यावरण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को स्पष्ट कर दिया है। उन्होंने यह संदेश दिया है कि वे अपने धार्मिक प्रतीक और पर्यावरण संरक्षण की इस महत्वपूर्ण लड़ाई में किसी भी तरह का समझौता नहीं करेंगे।