केरल हाई कोर्ट का अहम फैसला: अब मेडिकल लापरवाही में नर्सों की गिरफ्तारी नहीं होगी आम बात 


के कुमार आहूजा  2024-10-29 15:29:36



 

मेडिकल क्षेत्र में नर्सों की अहम भूमिका और उनके समर्पण को ध्यान में रखते हुए केरल हाई कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि मेडिकल लापरवाही के मामलों में नर्सों को यूं ही गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि केवल विशेष परिस्थिति में ही यह कदम उठाना चाहिए।

केरल हाई कोर्ट का नर्सों को राहत देने वाला निर्णय

केरल हाई कोर्ट ने नर्सों की सुरक्षा और सम्मान को लेकर एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि मेडिकल लापरवाही के मामलों में नर्सों को उसी तरह की सुरक्षा मिलनी चाहिए जैसी सुरक्षा डॉक्टरों को मिलती है। यह आदेश सिंगल-जज जस्टिस पीवी कुन्हीकृष्णन ने सेलिनामोल मैथ्यू बनाम स्टेट ऑफ केरल के मामले की सुनवाई करते हुए दिया।

अदालत ने नर्सों के काम में उनके योगदान की सराहना करते हुए कहा कि वे मरीजों के साथ दिन-रात रहती हैं और उनका ध्यान रखने में अपनी पूरी ऊर्जा लगा देती हैं। जस्टिस कुन्हीकृष्णन ने नर्सों की मेहनत को देखते हुए यह भी कहा कि वे सिर्फ बीमारियों का इलाज नहीं करतीं बल्कि असल में मरीजों की देखभाल करती हैं, जैसा कि फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने अपने जीवन में दिखाया था।

मामला और कोर्ट का फैसला

यह मामला एक नर्स से संबंधित था जिस पर एक 10 वर्षीय बच्ची की मौत के मामले में लापरवाही का आरोप लगाया गया था। बच्ची को दस्त और उल्टी की समस्या के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इलाज के दौरान उसकी स्थिति बिगड़ गई और उसका निधन हो गया। इसके बाद बच्ची के पिता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, लेकिन बाद में उन्होंने खुद कोर्ट के सामने यह स्वीकार किया कि उनकी नर्स के खिलाफ कोई शिकायत नहीं है और असली जिम्मेदारों को बचाने के लिए इस मामले को नर्स पर डाल दिया गया था।

इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए हाई कोर्ट ने नर्स के खिलाफ मामला रद्द कर दिया, साथ ही यह आदेश भी दिया कि यदि आगे कोई और जिम्मेदार व्यक्ति सामने आता है तो पुलिस उस पर कार्यवाही कर सकती है। इस आदेश के साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देशित किया कि वह सुप्रीम कोर्ट के जैकब मैथ्यू बनाम पंजाब राज्य मामले के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए नर्सों की सुरक्षा के लिए एक सर्कुलर जारी करें।

सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश का अनुसरण

केरल हाई कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि किसी भी नर्स के खिलाफ लापरवाही का मामला दर्ज करने से पहले जांच अधिकारी को एक स्वतंत्र और निष्पक्ष मेडिकल विशेषज्ञ की राय लेनी चाहिए, जो कि संबंधित नर्सिंग क्षेत्र का विशेषज्ञ हो। कोर्ट ने यह भी साफ किया कि निजी शिकायतों में तब तक कोई कार्यवाही न की जाए जब तक कि शिकायतकर्ता कोई ठोस सबूत न प्रस्तुत करे जो नर्स की लापरवाही को सिद्ध कर सके।

नर्सों के प्रति समाज की जिम्मेदारी

जस्टिस कुन्हीकृष्णन ने अपने आदेश में यह भी कहा कि समाज और सरकार को नर्सों को नैतिक समर्थन देना चाहिए ताकि वे बिना डर के अपनी सेवाएं दे सकें। उन्होंने नर्सों को “इंडियन नाइटिंगेल्स” के रूप में संबोधित करते हुए कहा कि नर्सों को न्यायिक प्रक्रिया में अनावश्यक रूप से उलझाना उनके कार्यों के प्रति अनुचित है। यह आदेश देशभर के नर्सिंग समुदाय के लिए एक बड़ा संबल बनकर सामने आया है।

फ्लोरेंस नाइटिंगेल का योगदान

इस आदेश में कोर्ट ने फ्लोरेंस नाइटिंगेल का उल्लेख करते हुए उनके अनुकरणीय योगदान को याद किया। नाइटिंगेल, जो आधुनिक नर्सिंग की संस्थापक मानी जाती हैं, ने नर्सिंग प्रोफेशन को एक नई दिशा दी और यह सिद्ध किया कि नर्स केवल बीमारी का इलाज ही नहीं करतीं, बल्कि मरीजों की देखभाल में अपनी अनोखी भूमिका निभाती हैं।


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