डॉलर के सामने डट कर खड़ा है रुपया: RBI की कोशिशों का सकारात्मक परिणाम
के कुमार आहूजा 2024-10-29 07:29:01
अमेरिकी डॉलर की बढ़ती ताकत और उच्च यू.एस. ट्रेजरी यील्ड्स के सामने भारतीय रुपया अस्थिर नहीं हुआ, लेकिन क्या यह स्थिरता भारत के केंद्रीय बैंक (RBI) की कोशिशों का नतीजा है? विशेषज्ञों का मानना है कि केंद्रीय बैंक लगातार हस्तक्षेप कर रहा है, जिससे रुपया 84 रुपये के पास बना हुआ है।
हाल के आंकड़ों के अनुसार, सोमवार को रुपये की शुरुआती कीमत बिना बड़े बदलाव के 84.08 रुपये प्रति डॉलर रही। रुपये में ये स्थिरता मुख्य रूप से आरबीआई की डॉलर बिक्री और संभावित हस्तक्षेप की वजह से है। कई विशेषज्ञों ने इस बीच भारतीय शेयर बाजार से विदेशी पूंजी निकासी की भी बात की, जिससे रुपये पर दबाव बढ़ा। पिछले सप्ताह अमेरिकी डॉलर इंडेक्स में 0.8% की वृद्धि दर्ज की गई थी, जो यू.एस. अर्थव्यवस्था की मजबूती को दर्शाती है।
आरबीआई के निरंतर हस्तक्षेप ने रुपये को केवल 3 पैसे की छोटी सी रेंज में बनाए रखा। विश्लेषकों का मानना है कि आरबीआई का यह कदम डॉलर के खिलाफ अत्यधिक उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने के उद्देश्य से है। तेल की कीमतों में गिरावट, जो कि इज़रायल द्वारा ईरान पर हालिया सीमित हमले के बाद आई है, ने भी रुपया को सहारा दिया है। इसके अलावा, विदेशी निवेशकों ने पिछले हफ्ते करीब $575.3 मिलियन के भारतीय शेयर और $30.4 मिलियन के भारतीय बांड बेचे, जिससे रुपया कमजोर हो सकता था, लेकिन आरबीआई के कदमों ने इसे स्थिर रखा।
हालांकि, आने वाले समय में रुपये की स्थिति पर असमंजस है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर डॉलर इंडेक्स 104 के स्तर को पार करता है, तो यह रुपये पर दबाव बढ़ा सकता है। दूसरी तरफ, अगर अमेरिकी फेडरल रिजर्व अपनी दरें कम करना शुरू करता है, तो डॉलर इंडेक्स में गिरावट भी आ सकती है, जिससे रुपया लाभ में रह सकता है।