मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ और पीएम मोदी की मुलाकात पर बेवजह उपजा विवाद
के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा 2024-10-29 05:07:05
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गणेश पूजा के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ के घर पर जाने का मामला एक अनपेक्षित विवाद का कारण बन गया है। इसे लेकर जहां कुछ ने न्यायपालिका और कार्यपालिका की स्वतंत्रता पर सवाल उठाए, वहीं न्यायपालिका और कई प्रमुख नेताओं ने इसे अनुचित बताया।
मुख्य न्यायाधीश की प्रतिक्रिया
27 अक्टूबर को मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने इस विवाद को "अनावश्यक, अनुचित और अव्यवहारिक" बताया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उन्होंने इस मामले को व्यक्तिगत और सांस्कृतिक मान्यताओं के रूप में देखा। भाजपा नेता नलिन कोहली ने भी इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ऐसे धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों में विभिन्न क्षेत्रों के लोगों के साथ मिलने में कोई कानून का उल्लंघन नहीं है, और न ही यह न्यायिक निर्णयों को प्रभावित करता है।
विवाद का कारण
विपक्षी नेता और कुछ अधिवक्ताओं ने इस मुलाकात को कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच एक संभावित "समझौते" के रूप में देखा। अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने इसे लेकर चिंता जताई कि ऐसे सार्वजनिक समारोह न्यायपालिका की निष्पक्ष छवि को धूमिल कर सकते हैं।
अन्य पक्षों का समर्थन
वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने इस विवाद को एक "फिजूल का बवाल" बताते हुए कहा कि गणेश उत्सव का आयोजन व्यक्तिगत और सांस्कृतिक परंपराओं का हिस्सा है। उनका मानना था कि ऐसे धार्मिक आयोजनों में शामिल होना सामान्य है, और प्रधानमंत्री जैसे नेताओं के निमंत्रण पर विवाद उठाना अनुचित है। वहीं, भाजपा ने इस विवाद को विपक्ष की "चुनिंदा प्रतिक्रिया" बताया और कहा कि 2009 में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा आयोजित इफ्तार पार्टी पर ऐसा कोई विवाद नहीं हुआ था।
बहरहाल, प्रधानमंत्री मोदी की गणेश पूजा में शामिल होने की घटना ने भारत के राजनीतिक और न्यायिक परिदृश्य में परस्पर समझ और स्वतंत्रता के महत्वपूर्ण सवाल उठाए हैं। मुख्य न्यायाधीश का इस मुद्दे पर स्पष्ट रुख इसे एक सामाजिक और सांस्कृतिक आयोजन के रूप में देखता है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि न्यायपालिका पर किसी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ा है।
इस विवाद में जो बातें प्रमुख रूप से उभर कर आईं हैं, उनमें यह स्पष्ट है कि यह एक व्यक्तिगत और सांस्कृतिक समारोह था और इसे बेवजह राजनीतिक रूप दिया गया। इस प्रकार की घटनाएं भारतीय राजनीति में संबंधों को संतुलित करने की जटिलता और जनता के विचारों की विविधता को दर्शाती हैं।