मुस्लिम पुरुष को मिली बड़ी राहत: तीसरी शादी का पंजीकरण वैध- बॉम्बे हाईकोर्ट
के कुमार आहूजा 2024-10-23 09:39:46
क्या मुस्लिम पुरुषों के लिए एक से अधिक शादी का पंजीकरण कानूनी रूप से मान्य है? बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया, जिसमें यह स्पष्ट किया कि मुस्लिम पुरुष महाराष्ट्र विवाह ब्यूरो और विवाह पंजीकरण अधिनियम, 1998 के तहत एक से अधिक शादी का पंजीकरण करा सकते हैं। यह फैसला मुस्लिम व्यक्तिगत कानूनों के तहत पुरुषों को चार पत्नियाँ रखने की अनुमति को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। आइए, इस फैसले के पीछे की पूरी कहानी पर एक नजर डालते हैं।
मामला:
यह मामला Mezouar Zouaouia और अनर बनाम ठाणे नगर निगम और अन्य से संबंधित है, जिसमें याचिकाकर्ता एक भारतीय व्यक्ति और उसकी अल्जीरियाई पत्नी थे। इस व्यक्ति की यह तीसरी शादी थी और वह इस शादी का पंजीकरण करवाना चाहते थे। ठाणे नगर निगम ने उनकी आवेदन को आवश्यक दस्तावेज़ों की कमी का हवाला देते हुए खारिज कर दिया था और यह तर्क दिया कि मुस्लिम पुरुष केवल एक ही शादी का पंजीकरण करवा सकते हैं।
याचिकाकर्ताओं का पक्ष:
याचिकाकर्ताओं के वकील ने तर्क दिया कि ठाणे नगर निगम की यह दलील निराधार है, क्योंकि पहले इसी निगम ने व्यक्ति की दूसरी शादी (जो कि एक मोरक्को नागरिक से हुई थी) का पंजीकरण पहले ही कर लिया था। उनका कहना था कि उन्होंने सभी आवश्यक दस्तावेज़ पहले ही प्रस्तुत कर दिए थे और यदि कोई अन्य दस्तावेज़ की आवश्यकता होती है तो वे उसे प्रस्तुत करने के लिए तैयार हैं।
नगर निगम का पक्ष:
ठाणे नगर निगम के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने पर्याप्त दस्तावेज़, जैसे पहचान और जन्म प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किए थे। इसके अलावा, उनका यह भी तर्क था कि केवल एक शादी का पंजीकरण ही मुस्लिम पुरुषों के लिए अनुमत है।
हाईकोर्ट का फैसला:
बॉम्बे हाईकोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस बीपी कोलाबावाला और जस्टिस सोमशेखर सुंदरशन शामिल थे, ने इस तर्क को खारिज कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि महाराष्ट्र विवाह पंजीकरण अधिनियम के तहत ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो मुस्लिम पुरुषों को एक से अधिक शादी का पंजीकरण कराने से रोकता हो। अदालत ने कहा, "धारा 7(1)(a) में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि पंजीकरण के लिए विवाह को संबंधित पक्षों के व्यक्तिगत कानून के अनुसार होना चाहिए। मुस्लिम कानून के तहत पुरुषों को चार पत्नियाँ रखने की अनुमति है, जिसे कोई भी प्राधिकरण चुनौती नहीं दे सकता।"
अदालत के अन्य महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ:
अदालत ने ठाणे नगर निगम की पिछली कार्रवाई की भी आलोचना की, जिसमें उन्होंने याचिकाकर्ता की दूसरी शादी का पंजीकरण किया था। अदालत ने कहा, "यदि हम निगम की इस दलील को मान लें, तो इसका मतलब होगा कि यह अधिनियम मुस्लिम व्यक्तिगत कानूनों को समाप्त करता है, जबकि इसमें ऐसा कुछ भी नहीं है जो यह संकेत देता हो कि मुस्लिम व्यक्तिगत कानूनों को इस अधिनियम से बाहर रखा गया है।"
अदालत ने ठाणे नगर निगम को याचिकाकर्ताओं से सभी आवश्यक दस्तावेज़ लेने का निर्देश दिया और उन्हें व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर देने को कहा। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि इस सुनवाई के बाद 10 दिनों के भीतर एक ठोस आदेश पारित किया जाए, जिसमें यह तय हो कि विवाह का पंजीकरण किया जाएगा या नहीं।
बॉम्बे हाईकोर्ट का यह निर्णय न केवल मुस्लिम व्यक्तिगत कानूनों की रक्षा करता है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि धार्मिक और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का सम्मान किया जाए। इस फैसले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि मुस्लिम पुरुषों के लिए अधिक विवाह का पंजीकरण कानूनी रूप से वैध है, और इसे चुनौती नहीं दी जा सकती।