भारत: विविधताओं का संगम, उच्चतम न्यायालय ने कहा- धार्मिक शिक्षा का समावेश जरूरी
के कुमार आहूजा 2024-10-23 08:28:30
भारत, विभिन्न संस्कृतियों, धर्मों और परंपराओं का एक अनोखा संगम है। हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि धार्मिक शिक्षा को संकीर्ण दृष्टिकोण से नहीं देखना चाहिए। न्यायालय ने उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा अधिनियम, 2004 के खिलाफ दायर अपीलों की सुनवाई करते हुए यह स्पष्ट किया कि यह अधिनियम मुस्लिम समुदाय को मुख्यधारा में लाने के लिए महत्वपूर्ण है।
घटनाक्रम:
सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला शामिल थे, ने कहा, "धार्मिक शिक्षा केवल मुसलमानों के लिए विशेष नहीं है। हमारा देश विभिन्न संस्कृतियों और धर्मों का मिश्रण है।" इस दौरान न्यायालय ने यह भी कहा कि भारत में विभिन्न प्रकार की धार्मिक शिक्षा की प्रथा है, जैसे कि मदरसे और वेद विद्यालय, और यदि संसद इसे नियंत्रित करने के लिए कानून लाती है, तो इसमें कोई बुराई नहीं है।
न्यायालय का दृष्टिकोण:
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि "हमारे संविधान का अनुच्छेद 28(1) किसी भी शैक्षणिक संस्थान में धार्मिक शिक्षा देने पर रोक लगाता है जो पूरी तरह से राज्य के धन से बनाए जाते हैं।" उच्च न्यायालय द्वारा मदरसा अधिनियम को असंवैधानिक घोषित करने पर रोक लगाई गई थी। न्यायालय ने यह भी कहा कि उच्च न्यायालय ने मदरसा अधिनियम के प्रावधानों का गलत अर्थ निकाला है।
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा, "यदि राज्य इस अधिनियम के माध्यम से मदरसों को नियंत्रित करता है, तो यह राष्ट्रीय हित में है।" इस दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता गुरु कृष्णकुमार ने यह तर्क दिया कि मदरसों का पाठ्यक्रम धर्मनिरपेक्ष नहीं है, जिस पर न्यायालय ने सवाल उठाए।
महत्वपूर्ण बिंदु:
उच्चतम न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि "यदि कोई डिग्री दी जा रही है जो मान्यता प्राप्त नहीं है, तो वह कानून को रद्द करने का आधार नहीं हो सकती।" मदरसा शिक्षा अधिनियम 2004 का उद्देश्य मदरसा शिक्षा बोर्ड को सशक्त करना है, ताकि मदरसों की कार्यप्रणाली पर नजर रखी जा सके।
यह निर्णय न केवल एक कानूनी मामला है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक विविधता और धार्मिक शिक्षा के महत्व को भी रेखांकित करता है। न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि ऐसे कानून समाज के लिए फायदेमंद होते हैं, और हमें इन्हें संरक्षित करने की आवश्यकता है।