केरल उच्च न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला: मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम 2017 को दिया गया पूर्व प्रभाव


के कुमार आहूजा  2024-10-23 07:44:44



 

केरल उच्च न्यायालय ने हाल ही में मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम 2017 (MHA) को पूर्व प्रभाव देने का निर्णय लिया है, जिसने 2016 में आत्महत्या का प्रयास करने वाली एक महिला के खिलाफ दायर आपराधिक मामलों को समाप्त कर दिया। यह फैसला न केवल कानून की प्रगति को दर्शाता है, बल्कि यह मानसिक स्वास्थ्य के प्रति समाज के दृष्टिकोण में भी महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत है।

घटनाक्रम:

यह मामला एक पूर्व विधायक की पत्नी से संबंधित है, जो 2016 में चुनावी प्रचार के दौरान अपने निजी बातचीत के संपादित ऑडियो क्लिप के प्रसार के कारण मानसिक तनाव में आ गई थीं। इस स्थिति के कारण उन्होंने नींद की गोलियों का अधिक सेवन कर आत्महत्या का प्रयास किया। उस समय, भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 309 के तहत उन पर आत्महत्या का प्रयास करने का आरोप लगाया गया था।

अधिवक्ता सीपी उदयभानु और अन्य ने महिला की ओर से अदालत में याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने तर्क दिया कि मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम के अंतर्गत उन पर चल रहे आपराधिक आरोपों से उनके अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है​।

न्यायालय का निर्णय:

अदालत ने इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम 2017 आत्महत्या के प्रयास को अपराध की श्रेणी से बाहर करता है, यह निर्णय लिया कि कानून को पूर्व प्रभाव दिया जाना चाहिए। न्यायमूर्ति सीएस सुदा ने कहा, "एक कानून जब समाज के कल्याण के लिए बनाया गया हो, तो इसे पीछे की घटनाओं पर भी लागू किया जा सकता है।"

इस निर्णय में यह भी स्पष्ट किया गया कि राज्य का कर्तव्य था कि वह मानसिक तनाव से ग्रसित व्यक्तियों को उचित देखभाल और उपचार प्रदान करे, न कि उन पर आपराधिक कार्रवाई करे​।

समाज पर प्रभाव: 

यह फैसला न केवल इस विशेष मामले का समाधान करता है, बल्कि यह मानसिक स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाने का भी कार्य करता है। अदालत ने स्पष्ट किया कि ऐसे कानूनों को समाज के सभी वर्गों के हित में लागू किया जाना चाहिए।

अदालत ने यह भी कहा कि "यह केस आगे बढ़ाना समय की बर्बादी और न्यायालय की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा"।

केरल उच्च न्यायालय का यह फैसला एक महत्वपूर्ण कदम है, जो मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित मामलों में सामाजिक जागरूकता और संवेदनशीलता को बढ़ावा देगा। यह निर्णय न केवल पीड़ितों के लिए राहत है, बल्कि यह समाज को मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को समझने की भी प्रेरणा देता है ।


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