केरल हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: साधारण डाक से भेजा गया टर्मिनेशन ऑर्डर अवैध


के कुमार आहूजा  2024-10-23 07:15:14



 

क्या किसी कर्मचारी को साधारण डाक से भेजे गए बर्खास्तगी आदेश को वैध माना जा सकता है? हाल ही में केरल हाईकोर्ट ने इस मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि बर्खास्तगी का आदेश केवल पंजीकृत डाक के माध्यम से ही वैध माना जाएगा। यह फैसला जिजी जॉन चेरियन बनाम केरल राज्य मामले में सुनाया गया, जिसमें अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि साधारण डाक से भेजा गया कोई भी दस्तावेज कानूनी रूप से मान्य नहीं है।

मामले की पृष्ठभूमि:

यह मामला एक हाई स्कूल के शिक्षक जिजी जॉन चेरियन का था, जिन्होंने अपनी सेवा समाप्ति को चुनौती दी थी। चेरियन, जो एक हाई स्कूल असिस्टेंट (फिजिकल साइंस) थे, ने अदालत से अपील की थी कि उन्हें उनकी बर्खास्तगी के बारे में कोई वैध सूचना नहीं दी गई थी।

चेरियन ने बताया कि उन्हें बर्खास्तगी का आदेश केवल साधारण डाक के माध्यम से भेजा गया था, जिसे उन्होंने प्राप्त ही नहीं किया। इसके अलावा, जब तक यह आदेश वैध रूप से प्राप्त नहीं हो जाता, तब तक इसे लागू नहीं किया जा सकता। चेरियन ने इस मामले में जनरल क्लॉज़ेस एक्ट, 1977 की धारा 27 का हवाला देते हुए कहा कि केवल पंजीकृत डाक के माध्यम से भेजा गया आदेश ही वैध होता है​।

अदालत में सुनवाई और तथ्य:

इस मामले में अदालत ने पाया कि चेरियन को 2017 में स्कूल प्रबंधन द्वारा बर्खास्त कर दिया गया था। हालांकि, बर्खास्तगी का आदेश साधारण डाक के माध्यम से भेजा गया था और इसे 2021 में उन्हें प्राप्त हुआ। इस आधार पर चेरियन ने तर्क दिया कि साधारण डाक से भेजा गया आदेश अवैध है और इसे मान्य नहीं माना जा सकता।

अदालत ने कहा कि धारा 27, जनरल क्लॉज़ेस एक्ट के अनुसार, केवल पंजीकृत डाक के माध्यम से भेजे गए दस्तावेज़ को ही सेवा मान्य माना जा सकता है।

कोर्ट का फैसला:

जस्टिस हरिशंकर वी मेनन की अध्यक्षता वाली बेंच ने स्पष्ट रूप से कहा कि साधारण डाक के माध्यम से भेजे गए आदेश को वैध नहीं माना जा सकता। चूंकि चेरियन को उनके बर्खास्तगी के आदेश की वैध सूचना नहीं दी गई थी, इसलिए बर्खास्तगी का आदेश अवैध हो जाता है।

अदालत ने अपने फैसले में यह भी कहा कि चूंकि चेरियन की सेवा समाप्ति का कोई वैध आदेश उनके रिटायरमेंट से पहले तीन सालों तक सेवा में नहीं आया था, इसलिए उनके खिलाफ कोई और कार्यवाही नहीं की जा सकती। इसके अलावा, अदालत ने चेरियन को उनके सेवानिवृत्ति की तारीख तक वेतन और अन्य लाभ प्राप्त करने का आदेश दिया, साथ ही उनकी पेंशन और अन्य परिलब्धियां भी दी जानी चाहिए।

यह फैसला कर्मचारियों के अधिकारों के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। अदालत ने साफ किया कि बर्खास्तगी का आदेश कानूनी तौर पर तभी मान्य होगा जब उसे पंजीकृत डाक के माध्यम से भेजा गया हो। यह फैसला न केवल कर्मचारियों के लिए बल्कि नियोक्ताओं के लिए भी एक चेतावनी के रूप में काम करेगा कि वे कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करें।


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