कूटवकील या पत्रकार? सुप्रीम कोर्ट ने दोहरी भूमिका निभाने पर जताई नाराजगी
2024-10-22 19:59:06
सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर स्पष्ट किया है कि एक व्यक्ति वकील और पत्रकार दोनों की भूमिका एक साथ नहीं निभा सकता। यह टिप्पणी उस समय की गई जब अदालत के सामने एक व्यक्ति ने खुद को एक साथ वकील और फ्रीलांस पत्रकार होने का दावा किया। कोर्ट ने इस तरह की प्रैक्टिस पर रोक लगाने का इशारा किया और बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) से इस मामले में प्रतिक्रिया मांगी।
विस्तृत रिपोर्ट:
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मौखिक रूप से दोहराया कि एक वकील, जो बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) में पंजीकृत है, वह एक साथ पत्रकार के रूप में काम नहीं कर सकता। इस फैसले की पृष्ठभूमि में एक मामले की सुनवाई हो रही थी, जहां याचिकाकर्ता ने खुद को वकील और पत्रकार दोनों बताया था। इस मुद्दे पर चर्चा करते हुए न्यायमूर्ति अभय एस ओका और ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा, "वह या तो वकील हो सकता है या पत्रकार, लेकिन दोनों नहीं। हम ऐसी प्रैक्टिस की अनुमति नहीं दे सकते।"
यह मामला उस वक्त सामने आया जब सुप्रीम कोर्ट में मोहम्मद कमरान द्वारा इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील की गई थी। यह अपील पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दायर मानहानि मामले से संबंधित थी। कमरान ने आरोप लगाया था कि बृजभूषण ने सितंबर 2022 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को लिखे दो पत्रों में उनके खिलाफ कई आपराधिक मामलों का उल्लेख कर उन्हें "षड्यंत्रकारी और चोर" कहा था। कमरान का दावा था कि इन पत्रों को सोशल मीडिया और समाचार पत्रों के माध्यम से साझा कर उनकी छवि खराब की गई।
इस दौरान, अदालत ने पाया कि कमरान खुद को एक साथ वकील और पत्रकार बता रहे थे। इस पर न्यायमूर्ति ओका ने टिप्पणी करते हुए कहा, "आप कहते हैं कि आप वकील हैं और साथ ही पत्रकार भी। बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियम इस पर पूरी तरह से रोक लगाते हैं।"
BCI के नियम:
बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियम स्पष्ट रूप से कहते हैं कि कोई भी वकील, जो किसी राज्य बार काउंसिल में पंजीकृत है, वह किसी अन्य रोजगार में नहीं लगा सकता। इसमें पत्रकारिता जैसे पेशे भी शामिल हैं। अदालत ने पहले भी उत्तर प्रदेश बार काउंसिल और BCI को इस मामले में नोटिस जारी किया था। चूंकि BCI ने अभी तक अपना जवाब दाखिल नहीं किया था, इसलिए अदालत ने सोमवार को एक नया नोटिस जारी किया।
बृजभूषण शरण सिंह पर चल रहे मामलों की पृष्ठभूमि:
इस मामले में उल्लेखनीय है कि बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ वर्तमान में कई आपराधिक मामलों की सुनवाई चल रही है। 15 जून 2023 को पुलिस ने सिंह के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप पत्र दायर किया था। इन धाराओं में धारा 354 (महिला की गरिमा का अपमान), 354ए (यौन उत्पीड़न), 354डी (पीछा करना) और 506(1) (आपराधिक धमकी) शामिल हैं। सिंह ने ट्रायल कोर्ट के सामने खुद को निर्दोष बताया है।
इसके अलावा, एक नाबालिग पहलवान ने भी पहले सिंह पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। हालांकि, बाद में उसने अपनी शिकायत वापस ले ली और दिल्ली पुलिस ने उस मामले में POCSO अधिनियम के तहत रद्दीकरण रिपोर्ट दाखिल की।
खबर के सूत्र:
सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी और प्रकरण पर चर्चा विभिन्न मीडिया हाउस द्वारा की गई है। CNN-News18, Bar and Bench, और LiveLaw जैसे वेबसाइट्स ने इस मामले की रिपोर्टिंग की है।
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय यह साफ करता है कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों का पालन सख्ती से किया जाएगा। वकीलों को पत्रकारिता या किसी अन्य पेशे में काम करने की अनुमति नहीं है। यह मामला न केवल एक वकील की पेशेवर जिम्मेदारियों को लेकर है, बल्कि इसके साथ मानहानि के मामले में कानून की प्रक्रिया का भी हिस्सा है, जो पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दायर किया गया है।