राष्ट्रीय पर्यावरण संसद में वन पुरुषों ने दी प्रेरणा: स्वच्छ पर्यावरण के लिए व्यक्तिगत प्रयासों पर जोर


के कुमार आहूजा  2024-10-22 19:52:57



 

देश में पर्यावरण संरक्षण के लिए अनेक संस्थाएं कार्यरत हैं, लेकिन जब इन संगठनों और व्यक्तियों का एक मंच पर आना होता है, तो यह एक बड़ा बदलाव लाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होता है। भोपाल में आयोजित राष्ट्रीय पर्यावरण संसद में पद्मश्री सम्मानित पर्यावरण योद्धाओं ने एकजुट होकर न केवल सरकार को, बल्कि समाज को भी पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता और जिम्मेदारी की प्रेरणा दी।

विस्तृत रिपोर्ट:

भोपाल के आंचलिक विज्ञान केंद्र में हाल ही में राष्ट्रीय पर्यावरण संसद का आयोजन किया गया, जहां देशभर के पर्यावरणविदों ने अपने विचार साझा किए। इस संसद का आयोजन देश की अग्रणी पर्यावरण संरक्षण संस्थाओं—राष्ट्रीय पर्यावरण बचाओ अभियान, पर्यावरण शिक्षा एवं संरक्षण समिति, पीपल नीम तुलसी बिहार, राष्ट्रीय पर्यावरण संरक्षण मंच, और न्यू अहिंसा निकेतन शैक्षणिक एवं सामाजिक कल्याण समिति के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।

वन पुरुषों का संदेश:

इस महत्वपूर्ण मंच पर पद्मश्री जादव पायेंग (असम), पद्मश्री बाबूलाल दहिया (मध्य प्रदेश), और पद्मश्री डॉ. श्याम सुंदर पालीवाल ने विशेष रूप से अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि सरकार को दोष देने के बजाय, हमें अपने स्तर पर सकारात्मक प्रयास करने चाहिए। पर्यावरण की रक्षा करने और स्वच्छ परिवेश बनाने में हर व्यक्ति की भूमिका महत्वपूर्ण है।

जादव पायेंग, जो अपने अनूठे वृक्षारोपण कार्यों के लिए वन पुरुष के नाम से जाने जाते हैं, ने कहा, "यदि हम भी केवल सरकार पर निर्भर रहते, तो हमें कभी पद्मश्री सम्मान नहीं मिलता। सभी में ऊर्जा है, और उसे सही दिशा में उपयोग करना जरूरी है।" उनकी बात ने उपस्थित सभी पर्यावरणविदों और जनता को प्रेरित किया।

पर्यावरण हरित योद्धा सम्मान:

इस आयोजन में देशभर से 101 लोगों को पर्यावरण हरित योद्धा सम्मान से सम्मानित किया गया। इनमें नालंदा, बिहार के रोहित कुमार भी शामिल थे, जिन्होंने पर्यावरण संरक्षण के लिए अपनी सोच और कार्यों से समाज में जागरूकता फैलाने का महत्वपूर्ण योगदान दिया।

रोहित कुमार की अपील:

पर्यावरण संसद में अपनी बात रखते हुए रोहित कुमार ने कहा कि विभिन्न संस्थाएं पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में काम कर रही हैं, लेकिन यदि सभी एकसाथ मिलकर एक समेकित कार्ययोजना पर कार्य करें, तो पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अधिक सकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं। उन्होंने केवल वायु प्रदूषण को ही समस्या नहीं माना, बल्कि ध्वनि प्रदूषण, जल प्रदूषण, मृदा प्रदूषण और प्लास्टिक के बढ़ते उपयोग को भी गंभीर समस्याओं के रूप में रेखांकित किया।

रोहित ने यह भी कहा कि बढ़ती जनसंख्या पर्यावरण प्रदूषण का एक मुख्य कारण है। यदि कोई व्यक्ति जनसंख्या नियंत्रण में योगदान देता है, तो वह भी पर्यावरण संरक्षण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा होता है। इस दिशा में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है, और ऐसे लोगों का सम्मान भी होना चाहिए जो इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं।

विशेषज्ञों का विचार:

इस अवसर पर कई प्रमुख पर्यावरणविद और समाजसेवी मौजूद थे। डॉ. राजीव जैन, शरद सिंह कुमरे, आनंद पटेल, चौधरी भूपेंद्र सिंह, वरिष्ठ पत्रकार अभिलाष खांडेकर, पूर्व डीजीपी अरुण गुर्टू, पूर्व कमिश्नर डॉ. आर के पालीवाल जैसे दिग्गजों ने अपने विचार रखे। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की, जिसे सरकार के सामने पेश करने के लिए सांसदों और विधायकों तक पहुंचाया जाएगा।

उनका मानना था कि आने वाले दिनों में सरकार की योजनाओं में इन विचारों और सुझावों को शामिल किया जाना चाहिए, ताकि पर्यावरण संरक्षण के दिशा में प्रभावी कदम उठाए जा सकें।

इस राष्ट्रीय पर्यावरण संसद ने स्पष्ट रूप से यह संदेश दिया कि सरकार पर दोष मढ़ने के बजाय, हमें व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सकारात्मक कदम उठाने के लिए सभी का योगदान जरूरी है। इस सम्मेलन ने लोगों को पर्यावरण के प्रति अधिक जागरूक और जिम्मेदार बनाने का काम किया है, और यह पहल भविष्य में समाज के लिए महत्वपूर्ण बदलाव ला सकती है।


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