शिमला के संजौली मस्जिद पर विवाद: कोर्ट के आदेश पर शुरू हुआ अवैध निर्माण का ध्वस्तीकरण
के कुमार आहूजा 2024-10-22 07:24:05
हिमाचल प्रदेश के शिमला स्थित संजौली मस्जिद में अवैध रूप से बनाए गए तीन मंजिलों का ध्वस्तीकरण शुरू हो गया है। यह कार्रवाई शिमला नगर आयुक्त की अदालत के आदेश पर की जा रही है, जिसमें मस्जिद समिति और वक्फ बोर्ड को दो महीने के भीतर अवैध मंजिलों को गिराने का निर्देश दिया गया है। इस आदेश के बाद मस्जिद समिति को इसे पूरा करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। कोर्ट के मुताबिक, अगर यह कार्रवाई समय पर नहीं होती है तो आगे की सुनवाई 21 दिसंबर को होगी।
विवाद की पृष्ठभूमि
संजौली मस्जिद का निर्माण शुरू से ही विवादों में रहा है। 2010 में नगर निगम द्वारा एक नोटिस जारी किया गया था, जिसमें मस्जिद के अवैध निर्माण को ध्वस्त करने का निर्देश दिया गया था। इसके बावजूद मस्जिद की पांच मंजिलें बनाई गईं। स्थानीय निवासियों और हिंदू संगठनों द्वारा इस पर कई बार विरोध प्रदर्शन किए गए। सितंबर 2024 में, एक बड़े विरोध के दौरान 10 लोग घायल हुए थे। इसके बाद, मुस्लिम कल्याण समिति ने खुद से अवैध निर्माण को हटाने का प्रस्ताव दिया था।
कोर्ट का आदेश
शिमला नगर आयुक्त की अदालत ने मस्जिद की अवैध रूप से निर्मित तीन ऊपरी मंजिलों को गिराने का आदेश दिया है। वक्फ बोर्ड और मस्जिद समिति को इस कार्रवाई का खर्च खुद वहन करने के निर्देश दिए गए हैं। मस्जिद समिति के अध्यक्ष मुहम्मद लतीफ ने कहा कि वे कोर्ट के आदेश के मुताबिक ध्वस्तीकरण करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे बाहरी तत्वों के हस्तक्षेप को लेकर चिंतित हैं, जो शांति भंग करने की कोशिश कर रहे हैं।
विवाद का प्रभाव और आगे की राह
संजौली मस्जिद का मामला हाल ही में तब और गर्म हो गया जब एआईएमआईएम के दिल्ली प्रमुख शोएब जमाई ने मस्जिद का दौरा किया और इसे लेकर सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट किया। उन्होंने आरोप लगाया कि मस्जिद के साथ भेदभाव किया जा रहा है, जबकि अन्य अवैध निर्माणों को नजरअंदाज किया गया है। हालांकि, मस्जिद समिति ने उनके दावों से असहमति जताई है और बाहरी हस्तक्षेप को रोकने की मांग की है।
स्थानीय प्रतिक्रिया
स्थानीय निवासी और इस मामले में पैरवी करने वाले अधिवक्ता जगत पाल ने कहा कि कोर्ट का यह निर्णय महत्वपूर्ण है और स्थानीय लोगों की लंबे समय से चली आ रही मांगों का समर्थन करता है। उन्होंने बताया कि मस्जिद का निर्माण सरकारी जमीन पर हुआ था, और वक्फ बोर्ड ने इस भूमि पर मस्जिद के निर्माण की अनुमति दी थी, लेकिन उसके लिए निर्धारित सीमाओं का पालन नहीं किया गया था।
इस मामले का अगला पड़ाव कोर्ट द्वारा ध्वस्तीकरण के बाद बाकी दो मंजिलों पर निर्णय लेना होगा, जो आगामी सुनवाई के दौरान तय किया जाएगा।