बैंक धोखाधड़ी मामले: विशेष अदालतों की सिफारिश, आम जनता को हो रही मुश्किलें


के कुमार आहूजा  2024-10-22 06:44:16



 

भारत में बैंक धोखाधड़ी के मामलों की बढ़ती संख्या ने न केवल बैंकों को हिला कर रख दिया है, बल्कि आम जनता की वित्तीय सेवाओं तक पहुंच को भी बाधित किया है। एक संसदीय समिति ने हाल ही में इस मुद्दे पर चिंता व्यक्त करते हुए वित्तीय सेवाओं के विभाग (DFS) को सुझाव दिया है कि वह कानून और न्याय मंत्रालय से बैंक धोखाधड़ी के मामलों के तेजी से निपटारे के लिए विशेष अदालतों की स्थापना की सिफारिश करे।

प्रारंभिक निष्कर्ष: धोखाधड़ी मामलों का असर

संसदीय समिति की अध्यक्षता राज्यसभा सांसद डॉ. एम थम्बीदुरई ने की। समिति ने पाया कि 12 बैंक धोखाधड़ी मामले, जिनमें से प्रत्येक में 1000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि शामिल है, वर्तमान में सीबीआई द्वारा जांच के अधीन हैं। इन लंबित मामलों के चलते बैंक सामान्य लोगों को ऋण देने से हिचक रहे हैं, जो एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है।

आम जनता पर असर

समिति ने यह भी पाया कि आम नागरिकों को बैंकिंग सेवाओं का लाभ उठाने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। एजेंटों द्वारा ऋण के लिए लगातार स्पैम कॉल्स, ऑनलाइन धोखाधड़ी और अनुसूचित जाति/जनजाति (SC/ST), अन्य पिछड़े वर्ग (OBC), और महिलाओं को क्रेडिट सुविधाओं का लाभ न मिल पाना जैसी समस्याएं भी सामने आई हैं। इसके अलावा, कई बैंकों में बढ़ते एनपीए (नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स) को लेकर भी चिंता जताई गई।

सीबीआई से त्वरित जांच की मांग

वित्तीय सेवाओं के विभाग के तत्कालीन सचिव डॉ. विवेक जोशी ने समिति को बताया कि सरकार सीबीआई के साथ नियमित रूप से संपर्क में है, ताकि धोखाधड़ी के मामलों की जांच और सुनवाई में तेजी लाई जा सके। उन्होंने कहा कि सरकार बैंकों को सुधार लाने के लिए निरंतर कदम उठा रही है और बैंक कर्मचारियों के इंटर-पर्सनल स्किल्स को बेहतर बनाने के लिए भी प्रयास हो रहे हैं।

ऑनलाइन सेवाओं का विस्तार

डॉ. जोशी ने बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अब ऑनलाइन सिस्टम का लाभ उठा रहे हैं, जिससे ग्राहकों को बैंक जाकर सेवाएं लेने की आवश्यकता कम हो गई है। जहां तक ऋण देने में कर्मचारियों की झिझक का सवाल है, बैंकों ने सरकार द्वारा दी गई गाइडलाइंस के तहत एक ढांचा तैयार किया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि 10 लाख रुपये तक के ऋण मामलों में सामान्यत: कर्मचारियों की जवाबदेही तय नहीं की जाती है, जबकि 10 लाख रुपये से अधिक के एनपीए मामलों में सक्षम प्राधिकरण की पूर्व स्वीकृति आवश्यक होती है।

बड़े धोखाधड़ी मामले: नीरव मोदी से लेकर एबीजी शिपयार्ड तक

समिति को बताया गया कि पंजाब नेशनल बैंक (PNB) के नौ मामले, जिनमें नीरव मोदी, गीतांजलि, Kudos Chemicals, Winsome Diamonds, दिवान, ABG Shipyard, Jet Airways और भूषण स्टील जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं, अभी भी जांच के अधीन हैं। बैंक ऑफ बड़ौदा से जुड़े 3 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी के कई मामले भी लंबित हैं। इसी तरह, इंडियन बैंक से जुड़े 1000 करोड़ रुपये से अधिक के आठ मामले भी जांच में हैं।

विशेष अदालतों की सिफारिश

संसदीय समिति ने बैंक धोखाधड़ी मामलों की तेजी से सुनवाई के लिए विशेष अदालतों की मांग की है, जिससे इन मामलों का समाधान जल्द से जल्द हो सके और आम जनता के लिए बैंकिंग सेवाओं की सुलभता बनी रहे। धोखाधड़ी के इन मामलों का सही समय पर निपटारा बैंकों की भरोसेमंद छवि को भी बहाल करेगा।


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