उरी सेक्टर में आतंकियों की संदिग्ध गतिविधि पर सेना की कार्रवाई, सीमा पर संघर्ष जारी


के कुमार आहूजा  2024-10-21 10:44:56



 

जम्मू और कश्मीर के उरी सेक्टर में रविवार को सुरक्षा बलों ने संदिग्ध गतिविधियों का पता लगने पर गोलीबारी की। इस घटना से घाटी में घुसपैठ की एक बड़ी कोशिश नाकाम हो गई, जबकि सीमा पर तनाव बना हुआ है। सेना और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में आतंकियों के खिलाफ सख्त मोर्चा संभाला गया, जो पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर (POJK) से घुसपैठ की फिराक में थे।

घटना का पूरा विवरण

उरी सेक्टर में सुरक्षा बलों को इंटेलिजेंस के आधार पर जानकारी मिली थी कि सीमा पार से आतंकियों द्वारा घुसपैठ की कोशिश की जा सकती है। इसके बाद सेना और पुलिस ने मिलकर संयुक्त ऑपरेशन शुरू किया। सेना के श्रीनगर मुख्यालय से जारी बयान में बताया गया कि जैसे ही जवानों ने संदिग्ध गतिविधियों को नोटिस किया, आतंकियों ने बिना सोचे-समझे गोलीबारी शुरू कर दी। सतर्क सैनिकों ने तुरंत जवाबी कार्रवाई की, जिससे आतंकियों की घुसपैठ की साजिश पर पानी फिर गया।

सेना द्वारा जारी किए गए बयान के अनुसार, “उरी, बारामुला के सामान्य क्षेत्र में घुसपैठ के प्रयास की आशंका के बाद एक संयुक्त ऑपरेशन चलाया गया। सतर्क जवानों ने संदिग्ध गतिविधि देखी और चुनौती दी, जिसके बाद आतंकियों ने अंधाधुंध गोलीबारी की। सेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया। ऑपरेशन अभी भी जारी है।”

घुसपैठ की साजिश और पाकिस्तान का हाथ

POJK में मौजूद आतंकी लंबे समय से जम्मू और कश्मीर में घुसपैठ की कोशिश कर रहे हैं, ताकि यहां के शांति को भंग कर सकें। यह घटना तब हुई जब हाल ही में लोकसभा और विधानसभा चुनाव बिना किसी आतंकवादी हमले के सफलतापूर्वक संपन्न हुए। आतंकियों ने इस लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बाधित करने का प्रयास किया, लेकिन लोगों की सक्रिय भागीदारी के कारण उनकी कोशिशें विफल हो गईं।

हाल के दिनों में पाकिस्तान से जुड़े विदेशी भाड़े के आतंकियों ने जम्मू क्षेत्र के पहाड़ी जिलों जैसे पूंछ, राजौरी, डोडा, उधमपुर और रियासी में सेना, अन्य सुरक्षा बलों और नागरिकों पर कई हमले किए हैं। इस क्षेत्र में घुसपैठ रोकने के लिए लगभग 4,000 प्रशिक्षित कमांडो, जिनमें पहाड़ी युद्धकला में माहिर जवान भी शामिल हैं, तैनात किए गए हैं।

सुरक्षा बलों की कार्रवाई और स्थानीय सहयोग

जम्मू के इन पहाड़ी जिलों में सेना और सीआरपीएफ के जवानों के साथ-साथ पुलिस ने भी गांव रक्षा समितियों (VDCs) को स्वचालित हथियार सौंपे हैं। VDCs स्थानीय नागरिकों के समूह होते हैं, जिन्हें आतंकियों से अपने गांवों और परिवारों की सुरक्षा के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।

आतंकी घटनाओं पर कड़ी नज़र

घुसपैठ की इस कोशिश से पहले भी आतंकी वारदातें हो चुकी हैं। कुछ दिन पहले, शोपियां जिले के ज़ैनपोरा इलाके में आतंकियों ने बिहार के एक गैर-स्थानीय निवासी अशोक चौहान की हत्या कर दी थी। इस हमले की व्यापक निंदा की गई थी, जिसमें जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी शामिल थे। इस वारदात के बाद सुरक्षा बलों ने हत्यारों की तलाश के लिए एक बड़ा अभियान शुरू किया था।

घटनाक्रम पर अधिकारियों की नजर

इस पूरे घटनाक्रम को लेकर राज्य सरकार और केंद्र सरकार की कड़ी निगरानी बनी हुई है। सेना द्वारा चलाए जा रहे इस ऑपरेशन की जानकारी सीधे जम्मू-कश्मीर के उच्चाधिकारियों को दी जा रही है। वहीं, मुख्यमंत्री ने भी इस पर गंभीरता से ध्यान दिया है और सुरक्षाबलों को त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।


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