शराब दुखान्तिका: जहरीली शराब से अब तक 67 मौतें, असली आंकड़ों पर विवाद


के कुमार आहूजा  2024-10-21 07:37:20



 

बिहार में जहरीली शराब पीने से मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। प्रशासन के आंकड़ों में 37 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि स्थानीय लोग सही आंकड़े छिपाने का दावा कर रहे हैं। उनके द्वारा मृतकों की संख्या 67 से अधिक बताई जा रही है। वहीं, पुलिस व प्रशासन पर लोगों की आवाज दबाने के आरोप भी लग रहे हैं।

विस्तृत रिपोर्ट:

बिहार में शराबबंदी के बावजूद ज़हरीली शराब का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस बार सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में सीवान, सारण और गोपालगंज शामिल हैं। प्रशासन के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, रविवार तक 37 लोगों की मौत की पुष्टि की गई है। इनमें सीवान में 28, सारण में 7 और गोपालगंज में 2 मौतें हुई हैं।

स्थानीय लोगों के दावे:

स्थानीय निवासियों का कहना है कि प्रशासन असली आंकड़े छिपा रहा है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, सीवान में 48, सारण में 17 और गोपालगंज में 2 लोगों की मौत हो चुकी है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस और प्रशासन के दबाव में पीड़ित परिवारों को बयान बदलने के लिए मजबूर किया जा रहा है। इसके चलते कई लोग डर के मारे अपने परिजनों के शवों का गुपचुप तरीके से अंतिम संस्कार कर रहे हैं।

अस्पताल में अफरातफरी:

छपरा सदर अस्पताल के डॉक्टरों के अनुसार, पिछले 24 घंटों में कोई नया मरीज अस्पताल में नहीं आया है, लेकिन गांवों में मेडिकल टीमें तैनात हैं और लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं। एक स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर ने बताया कि इब्राहिमपुर में 100 से अधिक लोग जहरीली शराब के सेवन से बीमार पड़े थे। जबकि गांव के लोगों का दावा है कि केवल छपरा में ही 50 से 60 लोगों की मौत हो चुकी है।

शराब तस्करों पर कार्रवाई:

सारण के जिलाधिकारी अमन समीर ने कहा कि जहरीली शराब से 7 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। मामले की जांच के लिए एक टीम का गठन किया गया है और अब तक 8 शराब तस्करों को गिरफ्तार किया गया है। सारण एसपी कुमार आशीष के निर्देश पर छापेमारी की जा रही है और तस्करों के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी गई है।

ग्रामीणों की मांग:

ग्रामीणों ने सरकार और स्थानीय प्रशासन को दोषी ठहराते हुए कहा कि गांवों में आसानी से नकली शराब उपलब्ध है। उनका कहना है कि या तो शराबबंदी पूरी तरह लागू की जाए या इसे खत्म किया जाए, ताकि लोग नकली शराब का सेवन न करें। एक ग्रामीण ने कहा, "अगर शराब पर पाबंदी नहीं होती, तो लोग नकली शराब नहीं पीते और इस तरह की मौतों से बचा जा सकता था।"

सरकार पर आरोप:

ग्रामीणों का आरोप है कि सरकार मौतों के सही आंकड़े छिपा रही है। कई लोग पुलिस और प्रशासन के डर से अपने परिजनों के शवों को जल्दबाजी में जला रहे हैं, जिससे वास्तविक मौतों की संख्या को जान पाना मुश्किल हो रहा है।

जागरूकता अभियान:

इस त्रासदी के बाद आशा और जीविका कार्यकर्ताओं को घर-घर जाकर नकली शराब के खिलाफ जागरूकता फैलाने का काम सौंपा गया है। स्वास्थ्य विभाग की टीमें भी प्रभावित गांवों में तैनात हैं, ताकि बीमार लोगों को तत्काल इलाज मिल सके और अधिक मौतों को रोका जा सके।


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