भारत में महिलाओं को वकालत का अधिकार: 100 साल का सफर और आगे की चुनौतियाँ


के कुमार आहूजा  2024-10-20 14:11:34



 

भारत में महिलाओं को कानूनी पेशे में अधिकार मिलने के 100 साल पूरे हो गए हैं। इस ऐतिहासिक मौके पर दिल्ली में एक खास कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें महिलाओं के अदालती सफर को सम्मानित करने और समझने का प्रयास किया जाएगा। कार्यक्रम में एक विशेष पैनल चर्चा होगी, जिसका नेतृत्व सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जज, जस्टिस हिमा कोहली करेंगी।

महिलाओं को वकालत का अधिकार: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

1923 में लागू हुआ लीगल प्रैक्टिशनर (वीमेन) एक्ट वह कानून था जिसने महिलाओं को पहली बार भारत में वकालत करने का अधिकार दिया। यह कानून उस समय एक क्रांतिकारी कदम था, जिसने कानूनी पेशे में महिलाओं के लिए रास्ता खोला। इस अवसर पर 25 अक्टूबर को आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य महिलाओं के कानूनी पेशे में योगदान को सराहना है।

इस कार्यक्रम का आयोजन सोसाइटी फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स और यूनिवर्सिटी ऑफ कैम्ब्रिज के सहयोग से किया जाएगा। यह कार्यक्रम दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में शाम 4 बजे से आयोजित होगा

कार्यक्रम की मुख्य बातें:

कार्यक्रम की शुरुआत (IN)VISIBLE नामक एक शॉर्ट फिल्म के लॉन्च से होगी, जिसे कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय की शोधकर्ता और कलाकार भूमिका बिल्ला ने बनाया है। यह फिल्म महिलाओं की कानूनी पेशे में अदृश्यता (या अत्यधिक दिखावे) के मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करती है और एक इंटरसेक्शनल दृष्टिकोण से उनके अनुभवों को सामने लाती है।

फिल्म की स्क्रीनिंग के बाद एक पैनल चर्चा का आयोजन होगा, जिसमें महिलाएं कानूनी पेशे में आने वाली चुनौतियों और उनके समाधान पर चर्चा करेंगी। इस चर्चा का मुख्य फोकस भविष्य की ओर होगा, जिसमें कानूनी ढांचे के भीतर मौजूद पितृसत्तात्मक, धार्मिक, और जातिगत शक्तियों को तोड़ने के तरीकों पर विचार किया जाएगा।

महिलाओं की कानूनी यात्रा पर एक नज़र:

इस कार्यक्रम में जस्टिस हिमा कोहली मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद रहेंगी। वे अपने अनुभवों के आधार पर इस यात्रा की व्याख्या करेंगी और आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करेंगी।

इस पैनल में शामिल अन्य प्रमुख वक्ता हैं:

विभा दत्ता मखिजा, वरिष्ठ अधिवक्ता

जैना कोठारी, वरिष्ठ अधिवक्ता

सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड संचिता ऐन

फिल्म निर्माता भूमिका बिल्ला

पैनल चर्चा का संचालन सुवासिनी हैदर (संपादक, द हिंदू) करेंगी।

आगे की दिशा:

कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य अगले 100 सालों के लिए कानूनी पेशे में महिलाओं की भूमिका को अधिक सुरक्षित, स्वागतपूर्ण और सशक्त बनाना है। पैनलिस्ट इस बात पर जोर देंगे कि कानूनी पेशे को कैसे पितृसत्तात्मक और अन्य सामाजिक बाधाओं से मुक्त किया जा सकता है ताकि सभी पृष्ठभूमियों की महिलाएं इसमें सक्रिय रूप से भाग ले सकें।

यह कार्यक्रम न केवल एक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य प्रदान करेगा, बल्कि भविष्य के लिए रोडमैप भी तैयार करेगा ताकि महिलाओं को इस क्षेत्र में अधिक स्वतंत्रता और अधिकार मिले।

इस महत्वपूर्ण अवसर पर महिलाओं के कानूनी पेशे में योगदान को न केवल सराहा जा रहा है, बल्कि उन्हें और अधिक सशक्त बनाने के लिए नए तरीकों की खोज भी की जा रही है। जस्टिस हिमा कोहली और अन्य प्रमुख वक्ताओं की यह पैनल चर्चा इस दिशा में एक अहम कदम साबित होगी, जो आने वाले समय में कानूनी पेशे में महिलाओं की भूमिका को और सुदृढ़ करेगी।


global news ADglobal news ADglobal news AD