जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट: ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए आरक्षण पर सरकार से मांगा जवाब


के कुमार आहूजा  2024-10-20 13:19:29



जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट: ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए आरक्षण पर सरकार से मांगा जवाब

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में ट्रांसजेंडर समुदाय के अधिकारों को लेकर हाई कोर्ट ने एक अहम कदम उठाया है। हाल ही में, हाई कोर्ट ने सरकार से यह पूछा है कि क्या केंद्र शासित प्रदेशों में ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए आरक्षण की कोई योजना है। इस सवाल के जवाब में, सरकार को 4 दिसंबर, 2024 तक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया गया है।

विस्तृत रिपोर्ट:

जस्टिस ताशी राबस्तान और जस्टिस पुनीत गुप्ता की पीठ दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जो ट्रांसजेंडर समुदाय के कल्याण और उनके अधिकारों की सुरक्षा के लिए दाखिल की गई थीं। इन याचिकाओं में NALSA (नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी) के ऐतिहासिक निर्णय के तहत ट्रांसजेंडर समुदाय के अधिकारों के कार्यान्वयन की मांग की गई थी।

याचिकाकर्ताओं का दावा था कि ट्रांसजेंडर समुदाय को अभी भी कई सरकारी सुविधाओं और कल्याण योजनाओं से वंचित रखा जा रहा है। कोर्ट ने पहले भी कई निर्देश जारी किए थे ताकि ट्रांसजेंडर समुदाय को बेहतर सुविधाएं मिल सकें, परंतु याचिकाकर्ताओं ने यह दर्शाया कि प्रशासन द्वारा अब तक कई निर्देशों का पालन नहीं हुआ है।

कोर्ट के निर्देश और प्रशासन की स्थिति:

कोर्ट ने कई निर्देश जारी किए थे, जिनमें शामिल थे:

ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को पहचान पत्र (आधार) और मतदान के अधिकारों तक आसान पहुंच प्रदान करना।

ट्रांसजेंडर छात्रों को स्कूलों और कॉलेजों में दाखिला सुनिश्चित करना।

ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण की संभावनाओं पर विचार करना।

एक जनगणना कराकर ट्रांसजेंडर समुदाय की संख्या का निर्धारण करना।

ट्रांसजेंडर समुदाय की समस्याओं को हल करने के लिए एक कल्याण बोर्ड की स्थापना।

हालांकि, याचिकाकर्ताओं ने अदालत को यह सूचित किया कि कई निर्देशों का कार्यान्वयन अभी बाकी है, और इसी कारण कोर्ट ने सरकार से स्थिति रिपोर्ट मांगी है।

स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार:

एक और अहम मुद्दा था अस्पतालों में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को चिकित्सा सुविधाएं प्राप्त करने में आ रही समस्याओं का। पहले कोर्ट ने आदेश दिया था कि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव न किया जाए और उन्हें उचित स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाएं।

हाल की सुनवाई में, डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया (DSGI) टीएम शम्सी ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए सभी जरूरी चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। इसके अलावा, सरकार ने एक समिति गठित की है, जो ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की संख्या और उनकी समस्याओं को पहचानेगी। कोर्ट ने इस समिति की प्रगति पर एक नई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी आदेश दिया है।

भविष्य की दिशा:

कोर्ट ने सरकार से यह भी पूछा है कि क्या ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए पेंशन योजनाओं की कोई रूपरेखा तैयार की जा रही है। साथ ही, यह भी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि कौन से अस्पतालों में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हैं, इस पर विस्तृत जानकारी दी जाए।

अगली सुनवाई के लिए 4 दिसंबर, 2024 की तारीख तय की गई है, और सरकार से उम्मीद की जा रही है कि वह तब तक आवश्यक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट का यह कदम ट्रांसजेंडर समुदाय के अधिकारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। प्रशासन को जवाबदेही सुनिश्चित करते हुए यह देखना होगा कि इस समुदाय को समाज की मुख्यधारा में शामिल करने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएं।


global news ADglobal news ADglobal news AD