भारत की जलमार्ग क्रांति: परिवहन के नए हाईवे से बढ़ी जल परिवहन क्षमता
के कुमार आहूजा 2024-10-19 15:53:06
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में 'Transformation through Transportation' के तहत जलमार्गों को नई गति दी जा रही है। परिवहन के इस बदलाव ने भारत के जलमार्गों को नए हाईवे के रूप में परिवर्तित कर दिया है। जलमार्गों के इस्तेमाल में आई तेजी के चलते सितंबर 2024 में देश के 12 प्रमुख बंदरगाहों ने 413.747 मिलियन मीट्रिक टन (MMT) कार्गो का प्रबंधन किया, जो कि साल-दर-साल के हिसाब से 5.03 प्रतिशत की वृद्धि है। यह जानकारी बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्रालय द्वारा साझा की गई है।
जलमार्गों का विकास: भारत का नया परिवहन विकल्प
भारत के जलमार्गों का इस्तेमाल केवल एक दशक में तेजी से बढ़ा है। 2013-14 में 18.07 मिलियन मीट्रिक टन (MMT) कार्गो जलमार्गों के जरिये ढोया जाता था, जो कि 2023-24 में बढ़कर 133.03 MMT तक पहुंच गया। यह वृद्धि भारत की परिवहन क्षमता को बढ़ाने के लिए की गई नीतिगत सुधारों और रणनीतिक निवेशों का परिणाम है। सरकार ने 2016 में 106 नए राष्ट्रीय जलमार्गों (National Waterways) की घोषणा की थी, जिससे ऑपरेशनल जलमार्गों की संख्या 2013-14 में मात्र 3 से बढ़कर 2024 में 26 हो गई।
जलमार्गों के विकास के लिए नए प्रोजेक्ट्स
सरकार ने 14 और नए राष्ट्रीय जलमार्गों के विकास की योजना बनाई है, जो केरल, गोवा, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और असम में स्थित हैं। इन जलमार्गों को लगभग 400 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया जा रहा है। इन जलमार्गों के माध्यम से भारत में कार्गो यातायात को 2030 तक 200 MMT और 2047 तक 500 MMT तक पहुंचाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा गया है।
किफायती और टिकाऊ परिवहन का विकल्प
एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, जलमार्गों के जरिए एक टन माल को 1 किलोमीटर तक पहुंचाने की लागत लगभग ₹1.06 होती है, जबकि रेल से यही लागत ₹1.36 और सड़क मार्ग से ₹2.50 तक होती है। यह जलमार्गों को अन्य परिवहन तरीकों की तुलना में अधिक सस्ता और टिकाऊ बनाता है। इसके अलावा, जलमार्गों के जरिए परिवहन करने से सड़क और रेल यातायात पर भी दबाव कम होता है, जिससे प्रदूषण और ईंधन की खपत में भी कमी आती है।
'Maritime India Vision 2030' और 'Maritime Amrit Kaal Vision 2047'
सरकार ने 'Maritime India Vision 2030' और 'Maritime Amrit Kaal Vision 2047' जैसे दीर्घकालिक योजनाओं के तहत जलमार्गों को प्रमुख परिवहन मार्ग के रूप में विकसित करने के लिए अनेक परियोजनाओं की शुरुआत की है। इसके तहत सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल का विस्तार करने पर जोर दिया जा रहा है, ताकि जलमार्गों के विकास में तेजी लाई जा सके।
जलमार्गों के विकास में नीतिगत सुधारों का योगदान
भारत के आंतरिक जलमार्ग परिवहन (IWT) क्षेत्र में नीतिगत सुधारों और निवेशों के कारण उल्लेखनीय प्रगति हुई है। क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस और एनालिटिक्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, IWT क्षेत्र में PPP मॉडल के माध्यम से विकास के बड़े अवसर हैं। इसके अलावा, देश में जलमार्गों के जरिए कार्गो यातायात को बढ़ाने के लिए SEBI जैसे नियामक संस्थानों का पारदर्शिता और शासन पर विशेष ध्यान देना निवेशकों के विश्वास को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
भारत के जलमार्गों को नए हाईवे के रूप में परिवर्तित करने की यह योजना न केवल परिवहन के क्षेत्र में क्रांति ला रही है, बल्कि यह देश के आर्थिक विकास और व्यापारिक गतिविधियों को भी गति दे रही है। प्रधानमंत्री मोदी की ‘परिवहन के माध्यम से परिवर्तन’ की नीति के तहत यह पहल भारत को एक नई दिशा में ले जा रही है, जहां जलमार्गों के जरिये सस्ता, टिकाऊ और किफायती परिवहन संभव हो रहा है।