देहरादून में अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट बुकिंग का फर्जी सेंटर उजागर: पुलिस की बड़ी कार्रवाई
के कुमार आहूजा 2024-10-19 15:50:54
देहरादून के राजपुर थाना क्षेत्र में एक फर्जी अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट बुकिंग सेंटर का पर्दाफाश हुआ है, जहां से ग्राहकों के क्रेडिट और डेबिट कार्ड की जानकारी चुराकर बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी की जा रही थी। यह मामला पुलिस की मुस्तैदी और व्यापक जांच के बाद सामने आया। इस रैकेट का संचालन अमेरिका और कनाडा में रहने वाले कुछ लोगों द्वारा किया जा रहा था।
कैसे खुला राज?
देहरादून पुलिस अधीक्षक प्रमोद कुमार ने बताया कि राजपुर थाना क्षेत्र में कल इस फर्जी सेंटर का खुलासा हुआ। पुलिस की टीम, जिसे शिवम मसूरी ने नेतृत्व किया, ने इस सेंटर पर छापा मारकर तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया। इस गिरोह की गतिविधियों पर तब नजर पड़ी जब पुलिस को अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट बुकिंग से जुड़े फर्जीवाड़े की सूचना मिली। इसके बाद गहन जांच की गई और सेंटर को रंगे हाथों पकड़ा गया।
कैसे होता था फर्जीवाड़ा?
पुलिस की शुरुआती जांच में पता चला कि PCM वर्ल्डवाइड नाम की एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी, जो अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट बुकिंग का काम करती थी, इस फर्जीवाड़े में लिप्त थी। इस कंपनी के माध्यम से अमेरिका और कनाडा में बैठे आरोपी, ग्राहकों से अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट बुकिंग के नाम पर क्रेडिट और डेबिट कार्ड की जानकारी लेते थे। पैसे को डॉलर में लेकर उसे अमेरिका के बैंक खाते में जमा कराया जाता था। इसके बाद इस रकम को भारत में ट्रांसफर करने के लिए जटिल तरीकों का इस्तेमाल किया जाता था।
47 युवाओं से पूछताछ, तीन गिरफ्तार
पुलिस ने इस मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। साथ ही, 47 युवाओं को नोटिस देकर पूछताछ के बाद रिहा कर दिया गया है। पुलिस ने स्पष्ट किया कि इन युवाओं से और भी जानकारी जुटाई जाएगी, क्योंकि इस रैकेट से जुड़े अन्य लोगों का पता लगाने के लिए यह जरूरी है। जिन लोगों को पूछताछ के बाद छोड़ा गया है, उनकी संदिग्ध भूमिका की अभी पूरी जांच की जा रही है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैला हुआ था गिरोह
यह फर्जीवाड़ा केवल भारत तक सीमित नहीं था, बल्कि इसका नेटवर्क अमेरिका और कनाडा तक फैला हुआ था। पुलिस जांच में सामने आया कि कंपनी ने ग्राहकों को ठगने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक जटिल योजना बनाई थी। ग्राहकों से ली गई धनराशि को अमेरिका में जमा कर, बाद में विभिन्न बैंकों के माध्यम से इसे भारत में भेजा जाता था। पुलिस ने यह भी बताया कि इस मामले में पैसे की जांच के लिए कई डिजिटल और बैंकिंग रिकॉर्ड्स खंगाले जा रहे हैं।
आगे की जांच जारी
प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच को और आगे बढ़ाने की तैयारी कर ली है। पुलिस अधीक्षक प्रमोद कुमार ने कहा कि इस तरह के गिरोहों का पर्दाफाश करना जरूरी है ताकि लोगों को सुरक्षित और विश्वसनीय सेवाएं मिल सकें। अभी तक की जांच से यह भी पता चला है कि इस रैकेट से कई बड़े लोग भी जुड़े हो सकते हैं, जिनकी जांच की जा रही है।
बहरहाल, इस घटना से यह स्पष्ट है कि कैसे डिजिटल युग में भी लोग साइबर अपराधियों का शिकार हो सकते हैं। पुलिस की मुस्तैदी और सही समय पर की गई कार्रवाई ने एक बड़े फर्जीवाड़े को उजागर किया है, जो भविष्य में और भी बड़ा हो सकता था। पुलिस की जांच जारी है और उम्मीद है कि जल्द ही पूरे गिरोह का पर्दाफाश हो जाएगा।