छठ से पहले यमुना का हाल बदतर: झाग की समस्या बढ़ी, सफाई के दावों पर सवाल
के कुमार आहूजा 2024-10-19 09:20:11
छठ से पहले यमुना का हाल बदतर: झाग की समस्या बढ़ी, सफाई के दावों पर सवाल
दिल्ली की यमुना नदी एक बार फिर झाग और प्रदूषण के संकट में फंसी दिख रही है। छठ पर्व से पहले, कालिंदी कुंज पर यमुना में सफेद झाग की मात्रा दोगुनी हो चुकी है। सरकार के बार-बार सफाई अभियानों के बावजूद नदी की स्थिति जस की तस है, जो सवाल खड़े करती है कि क्या वाकई सफाई के दावे पूरे हो रहे हैं?
विस्तृत रिपोर्ट:
दिल्ली में यमुना नदी के कालिंदी कुंज क्षेत्र में झाग की समस्या बढ़ती जा रही है। स्थानीय निवासी और पर्यावरण प्रेमी, हितेश कौशिक ने बताया कि, "दिल्ली से होकर यमुना का सिर्फ 2-3% पानी गुजरता है, लेकिन राजधानी की 70% गंदगी इसी में बहाई जाती है।" यह स्थिति तब है जब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सत्ता में आने पर यमुना की सफाई का वादा किया था। उन्होंने यहां तक कहा था कि वे यमुना में डुबकी लगाएंगे, लेकिन लोगों को अब तक कोई ठोस सफाई अभियान नहीं दिखा।
दिल्ली में यमुना की सफाई को लेकर कई योजनाएं बनीं, लेकिन उनका असर जमीन पर नजर नहीं आता। कालिंदी कुंज पर सफेद झाग के बढ़ने की वजह से यह और भी स्पष्ट हो गया है। इस समय यमुना के पानी में खतरनाक रसायन और भारी मात्रा में सीवेज मिला हुआ है, जो कि उद्योगों और घरेलू अपशिष्ट के जरिए नदी में बहाया जा रहा है।
सरकार की विफलता पर आलोचना:
हितेश कौशिक और कई स्थानीय लोग सरकार पर आरोप लगाते हैं कि यमुना की सफाई के लिए आवंटित पैसे का सही उपयोग नहीं हुआ। मुख्यमंत्री केजरीवाल ने सफाई की योजनाओं की घोषणा तो की, लेकिन इन पर क्रियान्वयन नहीं हो पाया। यमुना की सफाई को लेकर सालों से चली आ रही योजनाएं नाकाम होती दिखाई दे रही हैं। लोगों का मानना है कि यदि समय पर ठोस कदम उठाए गए होते, तो आज यमुना की हालत इतनी खराब नहीं होती।
छठ पर्व के अवसर पर हजारों श्रद्धालु यमुना में स्नान करते हैं और पूजा करते हैं, लेकिन इस बार नदी का हाल देख श्रद्धालु भी चिंता में हैं। झाग और प्रदूषित पानी के बीच धार्मिक अनुष्ठान करना उनके लिए एक चुनौती बन गया है। पिछले कुछ वर्षों से यमुना की सफाई के दावों के बावजूद नदी की स्थिति सुधरने के बजाय और बदतर होती जा रही है।
छठ पर्व पर बढ़ती चिंता:
छठ एक महत्वपूर्ण त्यौहार है, जिसमें श्रद्धालु यमुना जैसी पवित्र नदियों में स्नान कर सूर्य को अर्घ्य देते हैं। लेकिन इस बार यमुना की हालत देखकर लोग असमंजस में हैं कि वे अपने धार्मिक अनुष्ठान कैसे करें। यमुना में झाग और प्रदूषण की वजह से स्वास्थ्य जोखिम भी बढ़ गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यमुना के पानी में अमोनिया, फॉस्फेट और अन्य रसायनों का अत्यधिक स्तर है, जो इस झाग का मुख्य कारण है।
सरकार के प्रयासों पर सवाल:
दिल्ली सरकार और विभिन्न एजेंसियों द्वारा यमुना की सफाई के लिए कई प्रयास किए गए हैं, जिनमें यमुना एक्शन प्लान और गंगा सफाई मिशन शामिल हैं। लेकिन इन योजनाओं का असर अब तक जमीन पर देखने को नहीं मिला है। आलोचकों का कहना है कि सरकार की प्राथमिकताएं गलत दिशा में हैं और इस कारण यमुना की सफाई अभी भी अधूरी है।
यमुना का प्रदूषण दिल्ली के लिए एक गंभीर समस्या बनी हुई है। छठ पर्व से पहले यमुना की स्थिति ने श्रद्धालुओं के साथ-साथ पर्यावरणविदों को भी चिंता में डाल दिया है। सरकार के सफाई अभियान और योजनाओं के बावजूद यमुना का हाल लगातार बिगड़ता जा रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या आने वाले समय में यमुना को फिर से स्वच्छ बनाया जा सकेगा, या यह समस्या और गहराती जाएगी?