AI में नई ऊंचाइयां: स्वास्थ्य, कृषि और स्थायी शहरों में अनुसंधान के लिए तीन एआई उत्कृष्टता केंद्र स्थापित होंगे


के कुमार आहूजा  2024-10-18 19:29:46



 

शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मंगलवार को सरकार की महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा करते हुए बताया कि भारत में तीन नए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किए जाएंगे। ये केंद्र स्वास्थ्य, कृषि और स्थायी शहरों पर केंद्रित होंगे, और इन्हें दिल्ली, कानपुर और रोपड़ स्थित AIIMS और IIT के सहयोग से 2028 तक स्थापित किया जाएगा।

शिक्षा और प्रौद्योगिकी का संयोजन

धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, "हमारा उद्देश्य केवल शिक्षा की पहुंच को प्राथमिकता देना नहीं है, बल्कि गुणवत्ता, समावेशिता और समानता पर भी ध्यान केंद्रित करना है।" उन्होंने बताया कि इन केंद्रों का उद्देश्य केवल शोध और विकास नहीं है, बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में एआई का उपयोग कर सकने वाले कार्यबल का निर्माण करना भी है। इस घोषणा को भारतीय शिक्षा और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक बड़ा कदम माना जा रहा है, जो "विकसित भारत" के सपने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।

एआई के प्रमुख क्षेत्र: स्वास्थ्य, कृषि और स्थायी शहर

इन एआई केंद्रों की स्थापना के पीछे मुख्य उद्देश्य उन क्षेत्रों में नए अनुसंधान को बढ़ावा देना है, जो समाज के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। स्वास्थ्य के क्षेत्र में, एआई आधारित समाधान चिकित्सा जांच, बीमारी के निदान और उपचार प्रक्रियाओं को और प्रभावी बनाएंगे। कृषि में, एआई का उपयोग फसल उत्पादन बढ़ाने, पानी की बचत करने और खेती में स्वचालन को बढ़ावा देने के लिए किया जाएगा। वहीं, स्थायी शहरों के निर्माण के लिए एआई को शहरी योजना, यातायात नियंत्रण और ऊर्जा प्रबंधन में शामिल किया जाएगा।

मल्टीडिसिप्लिनरी शिक्षा की दिशा में कदम

श्री प्रधान ने स्पष्ट किया कि इन एआई केंद्रों की स्थापना राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुरूप की जा रही है, जो शिक्षा में बहुआयामी दृष्टिकोण को बढ़ावा देती है। "क्यूरीकुलम में एआई को शामिल करके, हम अपने छात्रों को भविष्य के नवप्रवर्तक और नेता बनाने के लिए तैयार कर रहे हैं," उन्होंने कहा। इसके माध्यम से छात्रों को मशीन लर्निंग, डेटा एनालिटिक्स, और नैतिक एआई जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञता प्राप्त होगी, साथ ही सामाजिक दृष्टिकोण से भी जागरूकता बढ़ेगी।

शिक्षा और उद्योग का सहयोग

इस परियोजना के तहत स्थापित होने वाले केंद्र न केवल अनुसंधान संस्थानों और विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर काम करेंगे, बल्कि उद्योगों के प्रमुख हिस्सेदारों से भी सहयोग प्राप्त करेंगे। इसका उद्देश्य शिक्षा और प्रौद्योगिकी को मिलाकर एक ऐसा माहौल तैयार करना है जहां छात्र और अनुसंधानकर्ता एआई के विकास और नवाचार में योगदान कर सकें।

उद्योग जगत से समर्थन

एआई और साइबर कानून विशेषज्ञ कर्णिका सेठ ने सरकार की इस पहल की सराहना की और इसे "मेक इन इंडिया" अभियान के साथ जोड़ते हुए कहा कि यह कदम देश के भविष्य में एआई के उपयोग को और बढ़ावा देगा। उन्होंने कहा, "कृषि, स्वास्थ्य और स्थायी शहरों में एआई उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना एक महत्वपूर्ण कदम है, जो हमारे राष्ट्र के लिए एआई का उपयोग करने की दिशा में एक मजबूत आधार तैयार करेगा।"

नवाचार और सतत विकास को मिलेगा बढ़ावा

इस घोषणा के बाद, शिक्षा जगत और उद्योग विशेषज्ञों ने इसे देश को एआई अनुसंधान और विकास का केंद्र बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना है। यह कदम 2028 तक भारत की प्रौद्योगिकी अवसंरचना को मजबूत करेगा और नवाचार को प्रोत्साहित करने वाले माहौल का निर्माण करेगा, जिससे सतत विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।


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