जैन धर्म का महासंगीत: नवपद ओलीजी का समापन और सम्यक तप का संदेश


के कुमार आहूजा  2024-10-18 11:10:51



 

जैन धर्म का ऐतिहासिक और धार्मिक महोत्सव नवपद ओलीजी का समापन बीकानेर में चातुर्मास विहार के दौरान विधिपूर्वक किया गया। इस पावन अवसर पर, गच्छाधिपति नित्यानंद सुरीश्वरजी के शिष्य मुनि पुष्पेन्द्र महाराज और मुनि श्रुतानंद महाराज ने उपस्थित श्रद्धालुओं को सम्यग् तप के महत्व पर गहरा उपदेश दिया।

क्या है सम्यग् तप का अर्थ? मुनि श्रुतानंद महाराज ने अपने प्रवचन में समझाया कि सम्यग् तप का वास्तविक अर्थ है, सही दिशा में और सही परिप्रेक्ष्य में तपस्या करना। इसका उद्देश्य सांसारिक इच्छाओं और मोह-माया से दूर रहना है, जिससे व्यक्ति शांति और संतुलन को प्राप्त कर सके। मुनि जी ने तपस्या के आंतरिक और बाहरी रूपों के बारे में बताया, जिसमें उपवास और साधना को बाह्य संतुलन के रूप में देखा जाता है।

उन्होंने कहा, "जो लोग जीवन में दुखों से मुक्ति पाना चाहते हैं, उन्हें स्वाद, याद और वाद (तर्क-वितर्क) से दूर रहकर जीवन में संतुलन बनाए रखना चाहिए। सम्यग् तप का प्रतीक सफेद रंग है, जो शांति और संतुलन का प्रतीक माना जाता है।"

आयंबिल: तपस्या का अनूठा रूप

नवपद ओलीजी के अंतिम दिन श्रद्धालुओं ने आयंबिल का अनुष्ठान किया। आयंबिल में साधकों ने केवल उबले हुए चावल खाए, जिसमें कोई मसाले या विशेष स्वाद नहीं थे। बिना घी, तेल, और मसाले के बनाए गए इस सादे भोजन का सेवन जैन साधना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसमें दूध, दही, हरी सब्जियां, और अनाज को भी विशेष रूप से परहेज किया जाता है। नवपद ओलीजी को शाश्वती मानी जाने वाली तपस्या का दर्जा प्राप्त है, जिसका अर्थ है कि यह सभी समयों में प्रासंगिक और अनन्त है।

सिद्धचक्र की पूजा और धार्मिक आराधना

नवपद ओली के दौरान सिद्धचक्र के नौ पदों की पूजा की जाती है। इनमें अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, साधु (पंच परमेष्ठी), दर्शन, ज्ञान, और चरित्र जैसे तत्वों का आराधन किया जाता है। अंतिम दिन तप की विशेष आराधना की जाती है, जो आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक होती है।

इस धार्मिक आयोजन में मुनि पुष्पेन्द्र महाराज ने अरिहंत और गुरु वंदन के साथ नवपद ओली के अंतिम दिन की प्रार्थना संपन्न की। इसके बाद श्रद्धालुओं ने श्रीपाल मैना चारित्र का पाठ और विमलनाथ परमात्मा का जाप किया, जो इस अनुष्ठान का एक अभिन्न हिस्सा था।

चातुर्मास समिति और आयोजन में सम्मिलित लोग

इस धार्मिक आयोजन का आयोजन चातुर्मास समिति के सदस्यों द्वारा किया गया। सुरेंद्र बद्धानी, शांतिलाल कोचर, विनोद देवी कोचर, और शांति लाल सेठिया ने इस कार्यक्रम का संयोजन किया। संघ पूजा और प्रभावना का लाभ पारस कुमार, अभिषेक सुराणा और ओसवाल सोप परिवार ने लिया।

आयोजन के दौरान, सभी श्रद्धालुओं ने मुनि श्री के प्रवचनों से आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त किया और तपस्या के महत्व को समझा। इस अवसर पर समिति के अन्य सदस्यों ने भी श्रद्धालुओं का सम्मान किया और कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

मीडिया की भूमिका:

कार्यक्रम के दौरान मीडिया कर्मियों का सम्मान भी किया गया। इस अवसर पर मुनि वृन्द ने अपने आशीर्वचनो से मीडिया कर्मियों को नवाजते हुए किसी कार्यक्रम की सार्थकता और उसकी प्रासंगिकता के लिए मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख किया। जन-संचार का सशक्त माध्यम बताते हुए हुए उन्होंने कहा कि आम जन तक प्रत्येक जानकरी को पहुंचाकर किसी भी आयोजन को सफलता के आयाम तक पहुँचाने की क्षमता केवल मीडिया कर्मियों में ही है। भविष्य में भी सत्य और तथ्य परख जानकारी आम जनता तक पहुंचाने के लिए उन्होंने मीडिया कर्मियों को आशीर्वाद दिया। 

आगामी कार्यक्रम

सुरेंद्र बद्धानी ने जानकारी दी कि रविवार को पौषध शाला का आयोजन सुबह 9 बजे से विजय वल्लभ शॉपिंग मॉल में किया जाएगा। इसके अलावा, दोपहर 12 बजे चार्तुमास समिति की ओर से गौड़ी पार्श्वनाथ भवन में साधर्मिक स्वामी वत्सल का आयोजन किया जाएगा, जहां सभी श्रद्धालु मिलकर धर्म का पालन करेंगे।


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