पराली जलाने पर सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख: पंजाब और हरियाणा सरकारों की नाकामी पर कड़ी फटकार


के कुमार आहूजा  2024-10-17 21:11:14



 

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पंजाब और हरियाणा की राज्य सरकारों को पराली जलाने की समस्या से निपटने में असफलता पर कड़ी आलोचना की। पराली जलाने को राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण के प्रमुख कारणों में से एक माना जाता है। न्यायालय ने सरकारों के रवैये को "सम्पूर्ण अवज्ञा" करार दिया और आरोप लगाया कि पंजाब सरकार दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने में विफल रही है।

"हमें समझाएं, क्यों नहीं हो रही कार्रवाई?"

जस्टिस अभय एस ओका की अध्यक्षता वाली बेंच ने हरियाणा सरकार से सवाल किया कि पराली जलाने के दोषियों के खिलाफ अब तक कोई अभियोजन क्यों नहीं हुआ है। कोर्ट ने हरियाणा के मुख्य सचिव को 23 अक्टूबर को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया। कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि यदि मुख्य सचिव किसी राजनीतिक प्रभाव के तहत काम कर रहे हैं, तो न्यायालय उन्हें भी सम्मन करेगा।

बेंच में जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और एजी मसीह भी शामिल थे। कोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) की आलोचना करते हुए कहा कि यह आयोग एक "दंतहीन बाघ" बन गया है, और अब इसे ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

पंजाब सरकार की मुश्किलें और जवाबदेही

पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सामने प्रस्तुत किया कि राज्य में धान की खेती का क्षेत्रफल बहुत अधिक है, जिसके कारण वित्तीय और कानून-व्यवस्था से जुड़ी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। राज्य के एडवोकेट जनरल ने कहा कि किसानों के साथ बातचीत करके इस मुद्दे को सुलझाने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन कोर्ट ने इसे एक कमजोर तर्क माना।

जस्टिस ओका ने पंजाब सरकार से सवाल किया, "आपके 2013 के नोटिफिकेशन को लागू करने में कौन सी वित्तीय बाधा है? यदि आप वास्तव में असमर्थ हैं, तो जाकर आयोग से अपने आदेशों को संशोधित करने का आग्रह करें।"

अभियोजन की कमी पर कोर्ट की नाराजगी

पंजाब सरकार ने अदालत में बताया कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार, राज्य में पराली जलाने की 267 घटनाएं हुई हैं, जिनमें से केवल 122 मामलों में मामूली कार्रवाई की गई है। कोर्ट ने यह भी दर्ज किया कि पिछले साल सरकार ने केवल 14 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी।

जस्टिस ओका ने कहा, "आखिरकार, आप यह कह रहे हैं कि लोग वायु प्रदूषण से पीड़ित हों, और हम कुछ नहीं कर सकते। यह रवैया स्वीकार्य नहीं है।" कोर्ट ने पंजाब के मुख्य सचिव को अगली सुनवाई पर उपस्थित होने का आदेश दिया और कहा कि उन्हें राज्य द्वारा की गई चूक की स्पष्टता से जानकारी देनी होगी।

दशकों पुरानी समस्या, लेकिन समाधान नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह समस्या दशकों से चली आ रही है, लेकिन राज्य सरकारें अब तक इसका समाधान निकालने में विफल रही हैं। अदालत ने केंद्र सरकार को भी निर्देश दिया कि वह अगली सुनवाई में इस संबंध में अपनी प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करे।

वायु प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी CAQM और राज्य सरकारों की विफलताओं पर कड़ी नाराजगी जताई थी, और इस बार भी कोर्ट ने साफ कहा कि अब और देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।


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