नेताजी सुभाष चंद्र बोस की भतीजी रोमा रे का निधन: एक युग का अंत
के कुमार आहूजा 2024-10-17 08:42:30
स्वतंत्रता संग्राम के महानायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की भतीजी, रोमा रे का बुधवार को 95 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनका निधन दक्षिण कोलकाता स्थित उनके आवास पर हुआ, जहाँ वे वृद्धावस्था से जुड़ी बीमारियों से जूझ रही थीं। परिवार के अनुसार, रोमा रे ने अपने पीछे एक बेटा, दो बेटियां और पाँच पोते-पोतियाँ छोड़ी हैं। उनके बेटे आशीष रे ने इस खबर की पुष्टि करते हुए बताया कि वह पिछले कुछ समय से अस्वस्थ थीं।
नेताजी के जीवन का साक्षात्कार
रोमा रे, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अहम योगदान देने वाले प्रसिद्ध वकील और नेताजी के बड़े भाई, सरत चंद्र बोस की पुत्री थीं। 1930 के दशक में, जब नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए, रोमा ने अपने चाचा के संघर्षों और उनके देशभक्ति के उदय को नजदीक से देखा था। नेताजी के व्यक्तित्व और उनके कार्यों ने रोमा को गहराई से प्रभावित किया, और वह उनके संघर्षों का प्रत्यक्ष साक्षी बनीं।
वियना में नेताजी की पत्नी के साथ निकटता
रोमा रे की जिंदगी में नेताजी की पत्नी एमिली शेंकल के साथ भी एक विशेष रिश्ता था। 1950 के दशक में जब वह वियना में रह रही थीं, तब शेंकल भी वहीं रहती थीं। उनके इस निकट संबंध ने उनके जीवन में एक अलग महत्व दिया। 1996 में जब एमिली शेंकल का निधन हुआ, तो रोमा को जर्मनी में उनके अंतिम संस्कार में शामिल होने और भाषण देने के लिए आमंत्रित किया गया था, जो दोनों के गहरे रिश्ते की गवाही देता है।
व्यक्तिगत जीवन
रोमा रे का विवाह प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. सचिस रे से हुआ था। अपने जीवन में उन्होंने नेताजी और उनके परिवार की धरोहर को जीवित रखा। उन्होंने नेताजी के जीवन और उनके संघर्षों को लेकर हमेशा एक गहन निष्ठा बनाए रखी। उनके निधन से नेताजी के परिवार के इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय समाप्त हो गया है।
स्मरण और श्रद्धांजलि
रोमा रे के निधन के साथ नेताजी के जीवन और उनके परिवार की अद्वितीय विरासत का एक और महत्वपूर्ण हिस्सा खो गया। उनके परिवार, खासकर उनके बेटे आशीष रे ने इस दुखद समाचार को साझा करते हुए कहा कि उनकी मां ने एक लंबा और प्रेरणादायक जीवन जिया, जो नेताजी की विरासत से गहराई से जुड़ा हुआ था।
उनके निधन से देश ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के एक और करीबी साक्षी को खो दिया, जिन्होंने उनके संघर्ष और देशभक्ति को करीब से देखा था। रोमा रे का जीवन नेताजी और उनके परिवार की समर्पित सेवा का प्रतीक है।